India News (इंडिया न्यूज)Murshidabad Violence: वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में हिंसा की घटनाएं देखने को मिलीं। मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों में हुई हिंसा के दौरान पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, सुरक्षा बलों पर पथराव किया गया और सड़कें जाम कर दी गईं। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि मुर्शिदाबाद में 118 लोगों को अरेस्ट किया गया है।

इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा “याद रखिए, जिस कानून के खिलाफ कई लोग आंदोलन कर रहे हैं, वह हमने नहीं बनाया है। यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है। इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र सरकार से मांगा जाना चाहिए।” ममता बनर्जी ने यह भी साफ कर दिया है कि राज्य में वक्फ कानून लागू नहीं होगा। उनका कहना है कि इस कानून पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा जाना चाहिए।

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पश्चिम बंगाल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हिंसा के सिलसिले में सुती से 70 और समसेरगंज से 41 लोगों की गिरफ्तारी की गई है।” मुर्शिदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहाँ प्रतिबंध लगाए गए और इंटरनेट सेवाएँ रोक दी गईं। अधिकारी ने यह भी बताया, दोनों इलाकों में गश्त जारी है। हम किसी को भी कहीं भी इकट्ठा नहीं होने देंगे।” हम कानून-व्यवस्था की स्थिति को बाधित करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” इस बीच, स्थानीय पुलिस ने सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचने की भी अपील की।

पुलिस फायरिंग में घायल युवक का इलाज जारी

जिले में हिंसा के दौरान पुलिस फायरिंग में घायल एक युवक को कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। राज्य भाजपा ने ममता बनर्जी की सरकार की निंदा की और कहा कि अगर सरकार स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “यह एक पूर्व नियोजित हिंसा थी, जो डेमोक्रेसी और शासन पर करारा प्रहार है।”

भाजपा ने की कार्रवाई की मांग, ममता ने भी की ये अपील

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि हिंसा के पीछे जो भी है उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए और सख्त कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने मामले की एनआईए जांच की भी मांग की है। अधिकारी ने कहा कि रेलवे स्टेशनों जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर की गई ये विध्वंसक हरकतें न केवल आवश्यक सेवाओं को बाधित करती हैं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती हैं।

 

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