India News (इंडिया न्यूज),Murshidabad violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा के बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। इस बीच, फरक्का से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक मनीरुल इस्लाम ने बताया कि कैसे उन्होंने धुलियान में अपना पुराना आवास बंद कर दिया और नए घर में शरण ली। एक अन्य विधायक ने अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों पर सवाल उठाए हैं।
मनीरुल इस्लाम ने कहा, “मैं शांति भंग नहीं करना चाहता था। 11 अप्रैल को मेरी पुरानी हवेली पर पथराव किया गया, सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए और गेट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। मेरी सुरक्षा टीम ने मुझे घर पर रहने की सलाह दी। बाद में मैं अपनी मां, भाई, पत्नी और बेटी के साथ रतनपुर स्टेशन क्रॉसिंग स्थित अपने नए घर में चला गया।” उन्होंने आगे कहा, “मैं बाद में अपने सांसद खलीलुर रहमान के साथ धुलियान वापस गया, लेकिन वहां लोगों ने विरोध किया।”
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11 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों ने धुलियान में सांसद खलीलुर रहमान और विधायक मनीरुल इस्लाम के कार्यालय और घर पर पथराव किया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब मुस्लिम बहुल इस जिले में टीएमसी का खासा प्रभाव है। जिले के 22 में से 20 विधायक टीएमसी के हैं और दोनों लोकसभा सांसद भी इसी पार्टी के हैं।
मनीरुल इस्लाम के मुताबिक, “8 अप्रैल को उमरपुर में हुई हिंसा के बाद हमने सभी सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। 11 अप्रैल की रैली बिना झंडे और बैनर के निकाली गई, लेकिन पुलिस ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।”
लोगों को गुमराह किया गया: विधायक
ममता के विधायक मनीरुल ने कहा, “हम लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। हम युवाओं को ये बता रहे हैं कि वक्फ क्या है। हम उन्हें यह भी समझा रहे हैं कि हिंदू सांसदों ने भी पार्लियामेंट में वक्फ बिल के खिलाफ वोट दिया है और हमारे सांसदों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।”
इस बीच, सांसद खलीलुर रहमान ने भी अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा, “मेरे ऑफिस पर पत्थर फेंके गए और मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया। यह एक साजिश थी। अब हमें लोगों से जुड़ना है और शांति कायम करनी है।”
शांति समितियों का गठन
समसेरगंज विधायक अमीरुल इस्लाम भी अब अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। हाल ही में वे जाफराबाद क्षेत्र में चंदन दास और उनके पिता हरगोबिंद दास के घर शोक संवेदना व्यक्त करने गए थे। 11 अप्रैल को हुई हिंसा में भीड़ ने दोनों की हत्या कर दी थी। इसी हिंसा में एजाज अहमद की भी पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, “हम क्षेत्रों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं। शांति समितियां गठित हो रही है, ताकि लोगों का यकीन फिर से बहाल हो सके।”
पार्टी के भीतर से ही उठे आलोचना के स्वर
भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “इन जनप्रतिनिधियों का जनता से संपर्क टूट गया है। उन्हें पता ही नहीं कि यह हिंसा क्यों हुई। वे केवल दीदी के नाम पर जीतते हैं, वे जमीन से कटे हुए हैं।”
विपक्ष का हमला
भाजपा के जंगीपुर जिला अध्यक्ष सुबल चंद्र घोष ने कहा, “वहां इतने सारे टीएमसी नेता मौजूद थे, फिर भी वे दंगा नहीं रोक पाए। अब वे यह कहकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं कि यह उन पर हमला था।”