India News (इंडिया न्यूज),Stampede at New Delhi Railway Station:नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई। इस हादसे में कई लोग घायल भी हुए हैं।पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। इस बीच कई चश्मदीदों ने हादसे का आंखों देखा हाल सुनाया। उन्होंने घटना की वजह भी बताई।

इनमें से एक चश्मदीद संगम विहार निवासी हीरालाल ने बताया कि आखिर चूक कहां हुई। हीरालाल ने भगदड़ वाली रात की पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा- हम 7 लोग महाकुंभ के लिए प्रयागराज जा रहे थे. हमने टिकट भी खरीद लिए थे। हम प्लेटफॉर्म पर खड़े थे, तभी रेलवे ने अनाउंस किया कि ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर आ रही है।

हम तब प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर थे।अनाउंसमेंट सुनने के बाद हम भी बाकी यात्रियों की तरह फुटओवर ब्रिज से प्लेटफॉर्म 16 की तरफ जाने लगे। हीरालाल ने कहा- प्लेटफॉर्म 16 पर खड़े यात्री भी फुटओवर ब्रिज से दूसरे प्लेटफॉर्म की तरफ जाने लगे। भगदड़ यहीं से शुरू हुई। जो भी भगदड़ हुई, वो फुटओवर ब्रिज पर हुई। लोग एक दूसरे पर गिरते रहे। दूसरे लोग उन पर चढ़कर जान बचाने के लिए भागने लगे। हम भी बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाए। भगवान जाने कितने लोग पुल पर ही मर गए। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद के लिए नहीं आया।

लेकिन यह पहली घटना नहीं जिसमें अचानक प्लेटफॉर्म बदलने जाने की वजह से भगदड़ मची हो. आखिर कौन तय करता है कि किसी रेलवे स्टेशन पर कौन सी गाड़ी किस प्लेटफॉर्म पर आएगी?

प्लेटफॉर्म बदलने का फैसला कौन लेता है?

भारतीय रेलवे अब ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करता है। यानी किसी ट्रेन को छूटने के लिए अगले स्टेशन पर आगे चल रही ट्रेन का इंतजार नहीं करना पड़ता। उनके बीच एक किलोमीटर की दूरी रखी जाती है। ऑटोमेटिक सिग्नल नहीं बल्कि स्टेशन मास्टर यह तय करता है कि ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर रुकेगी। यह फैसला ट्रेनों की प्राथमिकता के आधार पर लिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई प्रीमियम या वीआईपी ट्रेन है तो उसे स्टेशन का सबसे अच्छा और सुलभ प्लेटफॉर्म दिया जाता है। अगर किसी कारण से प्लेटफॉर्म में बदलाव होता है तो रेलवे स्टेशन पर मौजूद यात्रियों को पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के जरिए इसकी जानकारी देता रहता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने 2018 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों के रुकने के लिए पर्याप्त प्लेटफॉर्म नहीं हैं। सीएजी ने कहा कि ट्रेनों के रुकने के लिए रास्तों (प्लेटफॉर्म/लाइन) की अनुपलब्धता और 24 या उससे अधिक कोच वाली ट्रेनों को संभालने के लिए पर्याप्त लंबाई के पर्याप्त प्लेटफॉर्म का न होना ट्रेनों के लेट होने की मुख्य वजहें हैं।

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