India News (इंडिया न्यूज),New Income Tax Bill:लोकसभा में गुरुवार को नया आयकर विधेयक (आयकर विधेयक, 2025) पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में विधेयक पेश किया। विधेयक को लोकसभा की प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव भी पेश किया गया। समिति अगले सत्र के पहले दिन लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। विधेयक पेश होने के बाद सदन की कार्यवाही 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। शुक्रवार (7 फरवरी) को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नए आयकर विधेयक को मंजूरी दी गई।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को सदन में पेश किए जाने का विरोध किया। वित्त मंत्री ने सदस्यों की आपत्तियों के बीच विधेयक को सदन में पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया।

इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा न्यू इनकम टैक्स बिल

न्यू इनकम टैक्स बिल आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। नए विधेयक में कई बदलाव किए गए हैं, जिसकी जानकारी बुधवार को पेश होने से पहले जारी ड्राफ्ट कॉपी में सामने आई। दावा किया गया है कि नए विधेयक को पारदर्शी और करदाता अनुकूल बनाया जाएगा। इसमें डिजिटलीकरण से लेकर कर प्रणाली को सरल बनाने, कर भुगतान में सुधार से लेकर कर चोरी को लेकर नियमों को और सख्त बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

संक्षिप्त बनाया गया बिल

नए आयकर बिल में पहला और बड़ा बदलाव यह है कि इसे आम लोगों की समझ के लिए पहले की तुलना में आसान शब्दों के साथ कुछ हद तक संक्षिप्त बनाया गया है। उदाहरण के लिए, 1961 के आयकर बिल में 880 पेज थे, लेकिन छह दशक बाद इसमें शामिल पेजों की संख्या घटाकर अब 622 कर दी गई है। नए टैक्स बिल में 536 धाराएं और 23 अध्याय हैं।

टैक्स ईयर

आज पेश होने वाले नए बिल में टैक्स ईयर की अवधारणा पेश की गई है। जो अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले आकलन वर्ष और पिछले वर्ष की जगह लेगा। आमतौर पर देखा गया है कि कर का भुगतान करते समय करदाता आकलन और वित्तीय वर्ष को लेकर भ्रमित हो जाते थे, लेकिन अब इन्हें खत्म करते हुए केवल टैक्स ईयर का इस्तेमाल किया जाएगा। उदाहरण के लिए, 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक का टैक्स ईयर 2025-26 होगा। इसका मतलब है कि वित्तीय वर्ष के पूरे 12 महीने अब टैक्स ईयर कहलाएंगे।

मानक कटौती

नए कर विधेयक के तहत, यदि आप वेतनभोगी व्यक्ति हैं, तो आपको पुरानी कर व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये की मानक कटौती मिलती रहेगी, लेकिन यदि आप नई कर व्यवस्था चुनते हैं, तो यह कटौती आपको 75,000 रुपये तक उपलब्ध होगी। इसके साथ ही, नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं होगा और बजट में घोषित दरें वही रहेंगी। 4 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं

  • 4 लाख रुपये 1 से 8 लाख रुपये पर 5% टैक्स
  • 8 लाख रुपये 1 से 12 लाख रुपये पर 10% टैक्स
  • 12 लाख रुपये 1 से 16 लाख रुपये पर 15% टैक्स
  • 16 लाख रुपये 1 से 20 लाख रुपये पर 20% टैक्स

CBDT को मिला यह अधिकार

आयकर, 1961 की तुलना में नए कर विधेयक में किए गए बदलावों में अगला बड़ा बदलाव केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी CBDT से जुड़ा है। विधेयक के अनुसार, पहले आयकर विभाग को विभिन्न कर योजनाओं को शुरू करने के लिए संसद का रुख करना पड़ता था, लेकिन नए कर अधिनियम 2025 के अनुसार, अब CBDT को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू करने का अधिकार दिया गया है। इसका उद्देश्य नौकरशाही की देरी की समस्या को खत्म करना है।

म्यूचुअल फंड में निवेश

नए आयकर बिल के तहत पेंशन, एनपीएस अंशदान और बीमा पर टैक्स कटौती जारी रहेगी। रिटायरमेंट फंड, ग्रेच्युटी और पीएफ अंशदान को भी टैक्स छूट के दायरे में रखा गया है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी टैक्स में राहत दी जाएगी।

टैक्स चोरी पर अकाउंट सीज

नए टैक्स बिल में टैक्स चोरी करने वालों पर ज्यादा सख्ती और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। टैक्स न चुकाने पर ज्यादा ब्याज और जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी आय छिपाने की कोशिश करता है तो उसका अकाउंट सीज किया जा सकता है। इसके अलावा गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

ई-केवाईसी अनिवार्य

केंद्र सरकार का लक्ष्य नए टैक्स बिल के जरिए मौजूदा टैक्स सिस्टम को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाना है। इसके लिए ई-केवाईसी और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को अनिवार्य बनाया जा रहा है। ई-फाइलिंग अनिवार्य होने से टैक्स भुगतान में पारदर्शिता बढ़ेगी।

कृषि आय पर टैक्स छूट

नए टैक्स बिल में कृषि आय को कुछ शर्तों के साथ टैक्स-मुक्त रखा गया है। धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाओं और दान में दी जाने वाली राशि पर टैक्स छूट दी जाएगी। इसके साथ ही चुनावी ट्रस्ट को भी टैक्स से छूट दी गई है।

विवादों की संख्या में आएगी कमी

1961 के टैक्स बिल में कई अस्पष्ट प्रावधानों के कारण करदाताओं और सरकार के बीच विवाद देखने को मिले हैं और इनके कारण मुकदमों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। नए टैक्स बिल को स्पष्ट नियमों और आसान शब्दों के साथ पेश किया जा रहा है, जिससे इसे समझना आसान होगा और विवादों की संख्या में भी कमी आएगी।

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