India News (इंडिया न्यूज), NIA arrested CRPF ASI : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) मोती राम जाट को एनआईए ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दावा किया जा रहा है कि इस जवान से पत्रकार बनकर एक महिला ने संपर्क किया था।
जिसके बाद वह उसके जाल में फंस गया। उसने इस महिला को सुरक्षा बलों से जुड़ी कई अहम जानकारियां मुहैया कराईं। मोती राम जाट सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में तैनात था। एनआईए का दावा है कि वह साल 2023 से पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (पीआईओ) को गोपनीय सूचनाएं दे रहा था। अप्रैल 2022 में पहलगाम आतंकी हमले से पांच दिन पहले जाट का तबादला दिल्ली कर दिया गया था।
जानकारी देने पर मिलते थे रुपये
चंडीगढ़ में खुद को पत्रकार बताकर एक महिला इस जवान के संपर्क में आई थी। इस महिला ने शुरुआत में जाट से संपर्क किया और गोपनीय दस्तावेज मांगे। कुछ महीने बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एक पुरुष अधिकारी ने भी पत्रकार बनकर जाट से संपर्क किया और सेना की लोकेशन के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल की। जाट को हर महीने 3,500 रुपये और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 12,000 रुपये मिलते थे।
पत्नी के अकाउंट में आते थे पैसे
एनआईए सूत्रों के मुताबिक एएसआई मोती राम जाट को सीधे उसके बैंक खाते में पैसे नहीं मिलते थे। वह इस काम के लिए अपनी पत्नी के बैंक खाते का इस्तेमाल कर रहा था। आईएसआई से जुड़े लोग उसकी पत्नी के खाते में ये पैसे जमा कराते थे। एनआईए ने इस मामले में दो दिन पहले यानी 31 मई 2025 को दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल समेत आठ राज्यों में छापेमारी की थी।
कुल 15 जगहों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, संवेदनशील वित्तीय दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी। यह छापेमारी पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क को तोड़ने के लिए की गई है। जिसे भारत के खिलाफ आतंकी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है।
सोशल मीडिया की वजह से हुआ संदेह
सीआरपीएफ और केंद्रीय एजेंसियों की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान एएसआई मोती राम जाट की गतिविधियां संदेह के घेरे में आईं। उन्हें 21 मई 2025 को गिरफ्तार किया गया और वे 6 जून तक एनआईए की हिरासत में हैं। सीआरपीएफ ने उन्हें 21 मई को ही सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस मामले ने कश्मीर में सुरक्षा बलों के बीच आंतरिक खतरों को उजागर कर दिया है। एनआईए इस जासूसी नेटवर्क की गहराई और पहलगाम हमले से इसके संभावित संबंधों की जांच कर रही है।