India News (इंडिया न्यूज), Pangolin Smuggling: दुनिया का सबसे रहस्यमयी और दुर्लभ जीव। इतना अनोखा कि शेर, बाघ और तेंदुआ जैसे जानवर भी इसे छू नहीं सकते। लेकिन आज यह खुद की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि यह दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी किए जाने वाले जानवरों में से एक है। हम बात कर रहे हैं पैंगोलिन की। लखनऊ हाल ही में नाइजीरिया में एक बड़ी कार्रवाई के दौरान 2.18 टन पैंगोलिन स्केल यानी 1,100 पैंगोलिन की जान के बराबर खाल जब्त की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि यह जीव अंतरराष्ट्रीय संरक्षण सूची में शामिल है और इसका व्यापार सख्त वर्जित है। फिर भी इसकी तस्करी नहीं रुक रही है। सवाल यह है कि इस मासूम जीव में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से यह तस्करों के लिए सोने से भी ज्यादा कीमती हो गया है?
पैंगोलिन कैसा दिखता है?
पैंगोलिन स्तनधारियों और सरीसृपों यानी सांप और छिपकली जैसे जानवरों के बीच की कड़ी है। यह एशिया और अफ्रीका के कई देशों में पाया जाता है। इस पर ब्लेड जैसी प्लेटों की एक परत होती है। इसकी खाल पर ये प्लेटें बहुत मजबूत होती हैं। इतना ताकतवर कि अगर शेर या तेंदुआ भी इसे काट ले तो भी इस पर कोई असर नहीं होगा। पैंगोलिन चींटियाँ खाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक एक पैंगोलिन साल भर में करीब सात करोड़ चींटियाँ खा जाता है।
तस्करी का सबसे ज़्यादा शिकार
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के मुताबिक दुनिया भर में वन्यजीवों की अवैध तस्करी में अकेले पैंगोलिन का योगदान 20 प्रतिशत है। 2017 के एक अध्ययन के मुताबिक मध्य अफ्रीका में हर साल कम से कम 400,000 पैंगोलिन का शिकार करके उन्हें खाया जाता है। इनकी तस्करी की बात करें तो इनका शिकार खास तौर पर चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के लिए किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी भारी कीमत के कारण भारत में भी इनकी तस्करी बड़े पैमाने पर होती है।
4 साल में 1,203 पैंगोलिन की तस्करी
पशुओं और पौधों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ट्रैफिक ने एक फैक्ट शीट निकाली है। इस रिपोर्ट का नाम है ‘भारत के पैंगोलिन अवैध वन्यजीव व्यापार में दबे हुए हैं’। जिसमें बताया गया है कि 2018 से 2022 तक भारत में 1,203 पैंगोलिन की तस्करी की गई है।
पैंगोलिन और उनके व्युत्पन्न जैसे पंजे, मांस, हड्डियाँ और शरीर के अन्य अंगों की तस्करी 24 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में की जाती है। पैंगोलिन की तस्करी में ओडिशा सबसे ऊपर है। यहाँ 154 पैंगोलिन की तस्करी की गई। इसके बाद 135 पैंगोलिन के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर रहा।
क्यों है इनकी इतनी ज़्यादा मांग?
चीन और वियतनाम में दवा और मांस बनाने के लिए इनकी बहुत ज़्यादा मांग है। चीन में मेडिकल साइंस का अभ्यास करने वालों का कहना है कि पैंगोलिन की त्वचा केराटिन से बनी होती है। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का तो यहां तक कहना है कि पैंगोलिन की त्वचा का स्केल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों में भी मददगार हो सकता है। इन जानवरों के फायदों को लेकर समाज में सोच इतनी गहरी है कि इस वजह से इनकी मांग में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाए गए हैं। फिर भी तस्करों पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग पाई है।