India News (इंडिया न्यूज), Noel Tata New Chairman of Tata Trusts: रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को 11 अक्टूबर को सर्वसम्मति से टाटा ट्रस्ट का नया अध्यक्ष चुना गया है। यह नियुक्ति मुंबई में आयोजित एक बैठक के दौरान की गई और टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से इस पर सहमति व्यक्त की गई। बता दें कि, टाटा ट्रस्ट्स, जो विशाल टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66% की नियंत्रित हिस्सेदारी रखता है। साथ ही समूह के प्रशासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रतन टाटा ने कई वर्षों तक टाटा ट्रस्ट्स और टाटा समूह का नेतृत्व किया, उनके कोई बच्चे नहीं थे और उन्होंने ट्रस्ट्स में अपने पद के लिए किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया था। जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी पर निर्णय लेने के लिए बोर्ड की बैठक हुई। नोएल टाटा वर्षों से ट्रस्ट्स के साथ निकटता से जुड़े रहे हैं। उनको इस भूमिका को संभालने के लिए स्वाभाविक विकल्प के रूप में देखा गया।
कौन हैं नोएल टाटा?
नोएल नवल टाटा का जन्म साल 1957 में हुआ था। वो एक भारतीय मूल के आयरिश व्यवसायी हैं। जो ट्रेंट और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के अध्यक्ष, टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक और टाइटन कंपनी और टाटा स्टील के उपाध्यक्ष हैं। उनके पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सिमोन टाटा है। इसके अलावा वे सर रतन टाटा के सौतेले भाई भी हैं। नोएल टाटा ने आलू मिस्त्री से शादी किया है, जो पल्लोनजी मिस्त्री की बेटी हैं, जो टाटा संस (टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी) में सबसे बड़े शेयरधारक थे। साथ ही उनके तीन बच्चे लिआ, माया और नेविल हैं। वहीं रतन टाटा के निधन के बाद 11 अक्टूबर 2024 से टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
टाटा ट्रस्ट में नोएल टाटा की भूमिका
बता दें कि, 67 वर्षीय नोएल टाटा सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी रहे हैं, जो मिलकर टाटा संस में बहुलांश हिस्सेदारी रखते हैं। टाटा समूह के साथ उनके लंबे समय से जुड़े होने और इन ट्रस्टों में उनकी भूमिका ने उन्हें रतन टाटा के निधन के बाद अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे खड़ा कर दिया। वहीं उनकी शांत और संयमित नेतृत्व शैली उनके दिवंगत सौतेले भाई रतन टाटा के अधिक दृश्यमान और सार्वजनिक रूप से सामने आने वाले दृष्टिकोण के विपरीत है। नोएल टाटा की नियुक्ति 2022 में किए गए परिवर्तनों के अनुरूप भी है, जब टाटा संस बोर्ड ने अपने एसोसिएशन के लेखों में संशोधन किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक ही व्यक्ति अब टाटा ट्रस्ट और टाटा संस दोनों के अध्यक्ष की भूमिका नहीं निभा सकता है।