India News (इंडिया न्यूज),Assets of judges to be made public:देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि सभी जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने को कहा गया है। इस विषय पर आज सुप्रीम कोर्ट में सभी जजों की फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई गई थी। जिसमें सर्वसम्मति से इस बात पर सहमति बनी. सभी जजों ने सीजेआई खन्ना के सामने अपनी संपत्ति घोषित करने पर सहमति जताई। जिसके बाद जस्टिस खन्ना ने कहा कि जजों की संपत्ति की घोषणा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।
यह फैसला पहली बार 1997 में लिया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई। 2009 में सभी हाईकोर्ट ने इस पर सहमति जताई, लेकिन इसे लागू करना मुश्किल हो गया। क्योंकि पहले यह स्वैच्छिक हुआ करता था। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस पर सहमति जताई है, तो जल्द ही ऐसा होता हुआ दिख सकता है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस पर आधिकारिक जानकारी जल्द ही आएगी। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हाईकोर्ट के जज भी इस दिशा में कदम उठाते दिखें।
क्या है पूरा मामला?
7 मई 1997 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसमें कहा गया था कि हर जज को अपने, अपने जीवनसाथी या अपने ऊपर निर्भर किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर अचल संपत्ति या निवेश के रूप में मौजूद सभी संपत्तियों की घोषणा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करनी चाहिए। 28 अगस्त 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि सभी जज अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने पर सहमत हैं।
जिसके बाद 8 सितंबर 2009 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने 31 अक्टूबर 2009 को या उससे पहले जजों की संपत्ति को आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित करने का संकल्प लिया और कहा कि यह पूरी तरह से स्वैच्छिक आधार पर होगा। लेकिन लगातार देखा गया कि जज अपनी संपत्ति को सार्वजनिक नहीं करते और यही वजह थी कि आज CJI संजीव खन्ना ने एक बार फिर सभी जजों को इस फैसले की याद दिलाई। इसके बाद सभी जजों ने सर्वसम्मति से संपत्ति को सार्वजनिक करने का फैसला लिया।
जज यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद न्यायपालिका पर सवाल उठे थे। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत इस मामले को जांच के लिए भेज दिया। साथ ही जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला किया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके ट्रांसफर पर कुछ आपत्तियां भी थीं। लेकिन अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है।
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