India News(इंडिया न्यूज), One Nation One Election Bill: वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर बनी जेपीसी की रिपोर्ट में आज भी हंगामा हुआ। बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने आज भी इस बिल का विरोध करते हुए सवाल उठाते हुए कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल असंवैधानिक है चुनी हुई सरकार को 5 साल का पूरा कार्यकाल करने से भी रोकती है। सरकार कार्यकाल के बीच में ही यदि बहुमत खो देती है तो बीच में ही चुनाव कराने होंगे और कार्यकाल भी पूरे 5 वर्ष कहीं मिलेगा। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने आज फिर चुनावी खर्च की बात उठाते हुए कहा कि सरकार यदि 5 साल के बीच में ही गिरती है तो चुनाव तो कराना ही होगा तो फिर वन नेशन वन इलेक्शन इकोनॉमिक कैसे होगा?
प्रियंका गांधी ने ईवीएम पर उठाए सवाल
प्रियंका गांधी ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि राजनीतिक दलों का ईवीएम पर से भरोसा उठ गया है तो इसको बदलने में क्या हर्ज है बेलेट पेपर से जब चुनाव अमेरिका में हो सकते है तो भारत में क्यों नहीं? तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि जेपीसी के सामने जो भी विटनेस पेश होगा उसको पहले जेपीसी के हर सदस्य के सवालों का जवाब देना होगा आज जेपीसी की बैठक के पहले हॉफ में लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस अवस्थी ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल के समर्थन में अपनी दलीलें दी और उन पर उठे सवालों का जवाब भी जेपीसी के सामने दिया।
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पूर्व चीफ जस्टिस ने भी रखी अपनी बात
दूसरे हॉफ में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यू एन ललित को जेपीसी के सामने बुलाया गया है। यू एन ललित ने भी एक साथ चुनाव कराने को लेकर अपनी बात जेपीसी के सामने रखी। ललित ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से समय, धन, संसाधन सभी की बचत होगी जो आज समय की मांग है। वह इस बात को अनेक यूनिवर्सिटी में अनेक मंचों पर भी बोलते रहे है। जो सरकार बीच में ही गिर जाती है कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती तो वहां राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है चुनाव करना ही विकल्प नहीं है।
रामनाथ कोविंद कमिटी के सचिव बिल के समर्थन में
ललित के बाद रामनाथ कोविंद कमिटी के सचिव नितिन चन्द्र को भी जेपीसी के सामने बुलाया जाएगा। रामनाथ कोविंद समिति ने भी वन नेशन वन इलेक्शन बिल के समर्थन में अपनी रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को सौंपी थी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव देश में एक साथ कराने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन बिल मोदी सरकार ने संसद में पेश किया गया था। विपक्षी दलों के विरोध के चलते बिल को जेपीसी में भेजा गया था।