India News(इंडिया न्यूज),Orissa High Court: विदेशी मालवाहक की गिरफ्तारी के मामले में अब उड़ीसा हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। जहां 25 फरवरी को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य के पारादीप बंदरगाह पर अवैतनिक बर्थ किराया शुल्क के संबंध में एक विदेशी मालवाहक जहाज की ‘गिरफ्तारी’ का आदेश दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि, नौवाहनविभाग कानून के तहत, किसी जहाज के स्वामित्व, निर्माण, कब्जे, प्रबंधन, संचालन या व्यापार से उत्पन्न होने वाले समुद्री दावों को लागू करने के लिए एक जहाज को गिरफ्तार किया जा सकता है। वहीं पनामा-पंजीकृत जहाज, एम वी डेबी, एक अन्य मामले के सिलसिले में लगभग तीन महीने से बंदरगाह पर खड़ा है। बता दें कि, पिछले साल 1 दिसंबर को 220 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कोकीन से भरे कई पैकेट जब्त किए गए थे।

जहाज के खिलाफ मुकादमा

वहीं इस संबंध में एनडीपीएस अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम के तहत स्थानीय अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। पारादीप पोर्ट की रियायतग्राही पारादीप इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड (PICTPL) ने जहाज के खिलाफ दावा मुकदमा दायर किया है और जहाज को गिरफ्तार करने का आदेश देने के लिए पिछले महीने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। पीआईसीटीपीएल ने मालवाहक जहाज पर ₹7.95 करोड़ का समुद्री दावा किया है, जिसमें बर्थ किराया शुल्क, दंड शुल्क, कानूनी लागत और अन्य शामिल हैं।

न्यायमूर्ति वी नरसिंह का बयान

मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में न्यायमूर्ति वी नरसिंह की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि, पीआईसीटीपीएल प्रथम दृष्टया यह स्थापित करने में सक्षम है कि जब तक मालवाहक जहाज को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक मुकदमा निरर्थक होगा। कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 7 मार्च की तारीख तय की है. नौवाहनविभाग (समुद्री दावों का क्षेत्राधिकार और निपटान) अधिनियम, 2017 ने उड़ीसा उच्च न्यायालय और भारत के सात अन्य उच्च न्यायालयों को नौवाहनविभाग क्षेत्राधिकार प्रदान किया।

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