India News (इंडिया न्यूज), Pahalgam Terror Attack: शुभम की पत्नी ऐशान्या ने महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान से मांग की कि मेरे पति को यह पूछकर गोली मारी गई कि वह हिंदू है या मुसलमान। उसके बाद ही वहां भगदड़ मच गई। भगदड़ के कारण आतंकी भी इधर-उधर भाग रहे थे और गोलियां चला रहे थे। गोली की आवाज सुनकर सैकड़ों लोग भाग गए, जिससे उनकी जान बच गई।
सबसे पहले आतंकी मेरे पति के पास आए और उन्हें गोली मार दी। पत्नी ने बताया कि हमले में जान गंवाने वाले 27 लोगों के परिवारों में से किसी ने भी वहां के मुख्यमंत्री से बात नहीं की और उनका बहिष्कार कर दिया। वहां उन्होंने सिर्फ गृह मंत्री अमित शाह से बात की और मदद की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि वहां सभी की भूमिका संदिग्ध थी।
क्यों किया पुरुषों को टारगेट?
वहां सभी लोग सिर्फ कपल्स पर ध्यान दे रहे थे और कपल्स से ऊपर जाने पर जोर दे रहे थे। बबीता चौहान ने कहा कि महिलाओं के सामने उनके मांग का सिंदूर उतारने का ऐसा वीभत्स दृश्य दिखाने का मतलब उन्हें समझ में नहीं आया, लेकिन जहां तक मेरा मानना है, आतंकियों को सिर्फ यही पता है कि भारत में परिवार का मुखिया पुरुष होता है। इसलिए उन्होंने पुरुषों को निशाना बनाया।
अगर 15 साल पहले उठाए होते ये कदम…
जिस तरह से मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ अब सख्त कदम उठाए हैं। अगर ये कदम 15 साल पहले उठाए गए होते तो आज ये स्थिति पैदा नहीं होती। मासूम बच्चों की जान नहीं जाती। शहीद का दर्जा दिलाने के लिए बबीता चौहान ने कहा कि वह अपने स्तर पर पूरी मदद करेंगी। बता दें कि पहलगाम में आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए शहर के बेटे शुभम का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है।
सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि वह हिंदू था
अंतिम संस्कार के दूसरे दिन शुक्रवार को दिनभर घर पर लोगों का आना-जाना लगा रहा। घर पहुंच लोगों ने परिजनों को सांत्वना दी और शुभम को श्रद्धांजलि दी और भारत सरकार से आतंकियों का खात्मा करने की मांग की। शुभम के पिता ने कहा कि मेरा बेटा 18 देशों की यात्रा कर चुका है। वहां से वह सुरक्षित अपने वतन वापस लौटा, लेकिन अपने ही देश में उसे सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह हिंदू था।
पर्यटन को बढ़ावा देना गलत
उन्होंने कहा कि आतंकियों ने किसी महिला को गोली नहीं मारी। वहां का आम आदमी भी भारत का नहीं है। सभी पाकिस्तान की तारीफ करते हैं। वहां पर्यटन को बढ़ावा देना गलत है। जब फायरिंग हो रही थी, तब भी वहां के लोग और स्थानीय पुलिस कह रही थी कि आप लोग अफवाह न फैलाएं। यहां गोलियां नहीं चल सकतीं, यह इलाका सुरक्षित है।
बहू को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी मिले
चाचा मनोज द्विवेदी ने रुंधे गले से कहा कि जो अंतिम संस्कार मैं अपने बच्चे का कर रहा हूं, वही अंतिम संस्कार उसे मेरा भी करना पड़ा। मेरे लिए इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हम परिजनों की दो मांगें हैं। पहली, बेटे को शहीद का दर्जा दिया जाए और दूसरी, बहू को उसकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाए। ताकि वह अपना भावी जीवन खुशी से जी सके।