India News (इंडिया न्यूज), Pahalgam Terrorist Attack : असम विश्वविद्यालय में बंगाली विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य, पहलगाम के बैसरन के पास हुए घातक आतंकी हमले में फंसे लोगों में से एक थे। उन्होंने उस भयावह पल के बारे में बताया जो सामने आया यह जीवित रहने, विश्वास और विशुद्ध भाग्य की कहानी है। भट्टाचार्य ने कहा, मैं अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे सो रहा था, तभी मैंने अचानक अपने आस-पास लोगों की फुसफुसाहट सुनी लोग कलिमा पढ़ रहे थे।
‘कलिमा पढ़ बचाई अपनी जान’
न्यूज़18 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर देबाशीष ने आगे बताया कि सब देखने के बाद मैंने भी कलिमा पढ़ना शुरू कर दिया। इसी के बाद सेना की पौशाक में आतंकवादियों में से एक हमारी ओर आया और मेरे बगल में लेटे व्यक्ति के सिर में गोली मार दी। बंदूकधारी फिर भट्टाचार्य की ओर मुड़ा। “उसने सीधे मेरी ओर देखा और पूछा, ‘क्या कर रहे हो?’ मैंने और भी ज़ोर से कलिमा पढ़ी।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि मुझे ऐसा करने के लिए क्या मजबूर किया। किसी कारण से, वह मुड़ा और चला गया। इसके बाद मौका देख प्रोफेसर चुपचाप उठकर अपनी पत्नी और बेटे के साथ वहां से भाग गए। प्रोफेसर देबाशीष ने बताया कि हम पहाड़ी पर चढ़े, एक बाड़ को पार किया और लगभग दो घंटे तक चलते रहे, रास्ते में घोड़ों के खुरों के निशानों का पिछा करते हुए, फिर आखिर में उन्हें एक घुड़सवार मिला जिसके पास एक घोड़ा था और हम अपने होटल वापस लौटने में कामयाब रहे।
‘मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं जीवित हूं’
प्रोफेसर देबाशीष ने कहा कि वो अभी भी सदमे में हैं, लेकिन सुरक्षित हैं, “मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं जीवित हूं। उन्होंने बताया कि परिवार अब श्रीनगर में है, घर लौटने के लिए जल्द से जल्द अवसर की प्रतीक्षा कर रहा है।
पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला
पहलगाम में बंदूकधारियों द्वारा नागरिकों पर की गई गोलीबारी के बाद हुए आतंकी हमले में कम से कम 26 पर्यटक मारे गए। यह हमला बैसरन में हुआ, जहां मंगलवार सुबह पर्यटकों का एक समूह सैर-सपाटा करने गया था। प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी समूह- रेजिस्टेंस फ्रंट के एक छाया समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
अधिकारियों ने कहा कि मृतकों में दो विदेशी – यूएई और नेपाल से – और दो स्थानीय लोग थे। पीड़ितों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई भारतीय राज्यों के पर्यटक शामिल थे।