India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में अब केवल चार दिनों की देरी है। इससे पहले मैदान में उतरे सभी उम्मीदवार अपनी आखिरी कोशिश करने में जुटे हैं। चुनाव के प्रचार में चुनाव आयोग का काफी महत्व माना जाता है। ECI की सबसे पहली जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तिगत उम्मीदवारों दोनों के चुनाव खर्च की निगरानी करना। इसके लिए अपने स्वयं के पर्यवेक्षकों को नियुक्त करना और राज्य और केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करना है।
क्या कहता है नियम
बता दें की चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी खर्च की कोई सीमा नहीं है। उम्मीदवारों को लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 95 लाख रुपये और विधानसभा सीटों के लिए 40 लाख रुपये तक सीमित रखा गया है। हालांकि कुछ छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह सीमा कम है। इस खर्चे में विज्ञापन, रैली, सभाएं, परिवहन खर्च सबकुछ सम्मिलित है। यहां हम जानेंगे कि किस साल में कितना खर्च करने की अनुमति चुनाव आयोग द्वारा दी गई थी।
लोकसभा का खर्च
- 1951-52- देस के पहले आम चुनाव में उम्मीदवारों को अधिकतम 25 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति दी गई थी। वहीं कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में यह सीमा 10,000 रुपये थी।
- 1971: अधिकरत सभी राज्यों के लिए खर्च सीमा बढ़ा दी गई। इसे 35 हजार रुपये कर दी गई।
- 1980: इस चुनाव में हर उम्मीदवारों को 1 लाख रुपये खर्च करने की अनुमित थी। ।
- 1984: इस बार इसे बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये और छोटे राज्यों में 1.3 लाख रुपये कर दिया गया।
- 1996: लिबरलाइजेशन के बाद के चुनाव में अधिकांश राज्यों के लिए सीमा को तीन गुना बढ़ाकर 4.5 लाख रुपये कर दिया गया।
- 1998: खर्च सीमा को अब 15 लाख रुपये कर दी गई।
- 2004: यहां पहुंचने तक खर्च होने वाली राशि को 25 लाख रुपये कर दिया गया।
- 2014: दस साल के अंदर राशि को दोगुना से अधिक बढ़कर 70 लाख रुपये कर दिए गए।
- 2022: 2019 के चुनावों के बाद, खर्च सीमा को मौजूदा आंकड़ों तक बढ़ा दिया गया।
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद तीन महीने के अंदर सभी पार्टियों को विस्तृत चुनाव व्यय रिपोर्ट चुनाव आयोग को देनी होगी। वहीं हर एक उम्मीदवारों को 30 दिनों के भीतर चुनाव व्यय विवरण जमा करना होगा।