India News (इंडिया न्यूज), Fighter Jet: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दुनिया के सबसे महंगे पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 फाइटर जेट की पेशकश के बाद भारत अब दुविधा में फंस गया है। दशकों से भारत के सबसे करीबी दोस्त रूस ने भी अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट सुखोई-57 को भारत में बनाने की पेशकश की है। जहां भारत के दुश्मन पड़ोसी देश लगातार स्टील्थ फाइटर जेट अपनी वायुसेना में शामिल कर रहे हैं, वहीं भारत अभी भी राफेल के बाद नए फाइटर जेट के विकल्प पर फैसला नहीं कर पा रहा है। अमेरिका अभी भी अपना एफ-35 फाइटर जेट अपने करीबी सहयोगियों को ही दे रहा है और इस विमान का निर्माण रूस और चीन से खतरे को ध्यान में रखकर किया गया है।
क्या कह रहे विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की दुविधा का असर यह हुआ है कि पिछले 10 सालों में चीन भारत से करीब 3 गुना आगे निकल गया है। वहीं अगर भारत की बात करें तो लड़ाकू विमानों के बेड़े में 151 जेट विमानों की कमी आई है। भारत की योजना तेजस जैसे घरेलू लड़ाकू विमानों को बड़े पैमाने पर शामिल करने की है। ऐसे 500 स्वदेशी लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना है। हालांकि, अमेरिका द्वारा इंजन उपलब्ध कराने में देरी के कारण यह योजना भी बुरी तरह पिछड़ गई है।
F-35 में लगे अत्याधुनिक सेंसर
अमेरिका के F-35 फाइटर जेट में अत्याधुनिक सेंसर लगे हैं और यह AI से लैस है। साथ ही यह आसानी से डेटा शेयर करने में सक्षम है। यह रडार को मात देने में भी सक्षम है। इस एक विमान की कीमत 80 मिलियन डॉलर है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्नेगी इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो एश्ले जे टेलिस का कहना है कि ट्रंप का F-35 का ऑफर केवल प्रतीकात्मक है और व्यावहारिक नहीं है। ट्रंप अमेरिकी हथियार बेचने के लिए ऐसा ऑफर दे रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत अपने स्वदेशी AMCA और पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए राफेल पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।
लगातार पुरानी होती जा रही है भारतीय वायुसेना
रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरी दुविधा की वजह से भारतीय वायुसेना लगातार पुरानी होती जा रही है और उसके लड़ाकू विमानों की संख्या भी कम होती जा रही है। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 31 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन हैं। वहीं, मंजूरी 42 स्क्वाड्रन की है। इनमें से ज्यादातर सुखोई और मिग जैसे रूसी लड़ाकू विमान हैं। इसके अलावा फ्रांस के राफेल और मिराज 2000 भी हैं। भारत को सुखोई 30 की जगह नया लड़ाकू विमान चुनने में दिक्कत आ रही है, जो सबसे ज्यादा है।
अमेरिकी इंजन नहीं मिलने पर हो रही देरी
अमेरिकी इंजन न मिलने की वजह से भारत की तेजस जेट हासिल करने की योजना में भी देरी हो गई है। भारतीय वायुसेना प्रमुख इस पर खुलकर नाराजगी जता चुके हैं। भारत अब 114 नए लड़ाकू विमान हासिल करना चाहता है और इसके लिए रूस, फ्रांस और अमेरिकी विमान दावा ठोक रहे हैं। चीन ने फिलहाल जे 20 और जे 35 स्टील्थ जेट को शामिल किया है भारत अपने स्वयं के स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ आगे बढ़ेगा।