India News (इंडिया न्यूज), PM Modi: वाराणसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। वे अशोकनगर जिले की ईसागढ़ तहसील के आनंदपुर धाम पहुंचे जहां उन्होंने देश-विदेश से आए अपने अनुयायियों को संबोधित भी किया। अपने संबोधन में उन्होंने पीएम के भाषण के मुख्य बिंदुओं पर गौर किया। इसके चलते मठ की ओर से प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया गया।

मठ की ओर से पीएम मोदी का स्वागत

अद्वैत मठ की ओर से पीएम मोदी का स्वागत किया गया। मठ ने कहा कि जिस तरह हमारे पीएम के नेतृत्व में विश्वस्तरीय स्तर पर महाकुंभ का आयोजन हुआ। यह आस्था का समागम था। करोड़ों श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक आनंद प्राप्त किया। ऐसा लगा मानो भगवान ने सभी को एक माला में पिरो दिया हो। जब राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित की जा रही थी, तब भी सब कुछ राममय था।

‘आनंदपुर में मन आनंद से भर गया’

पीएम मोदी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं श्री आनंदपुर धाम आकर अभिभूत हूं… जिस धरती का कण-कण संतों की तपस्या से सींचा गया हो, जहां दान एक परंपरा बन गई हो, जहां सेवा का संकल्प मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता हो, वो धरती साधारण नहीं है। इसीलिए हमारे संतों ने अशोक नगर के बारे में कहा था कि यहां दुख भी आने से डरते हैं। मुझे खुशी है कि मुझे आज यहां बैसाखी और श्री गुरुजी महाराज के अवतरण दिवस के उत्सव में शामिल होने का अवसर मिला.”

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इस पावन अवसर पर मैं प्रथम पादशाही अद्वैत आनंदजी महाराज सहित सभी संतों को नमन करता हूं। मुझे जानकारी मिली है कि आज ही के दिन 1936 में द्वितीय पादशाही ने महासमाधि दी थी। आज ही के दिन 1964 में तृतीय पादशाही अपने वास्तविक स्वरूप में विलीन हो गए थे। मैं दोनों को नमन करता हूं। मैं मां जागेश्वरी देवी, मां बिजासन, मां जानकी करीला माता धाम को भी नमन करता हूं।

उन्होंने आगे कहा-  “जब-जब भारत के सामने कोई कठिन दौर आया, तब-तब कोई ऋषि मुनि धरती पर अवतरित हुए और उन्होंने भारत को नई दिशा दी। इसकी एक झलक हमें स्वामी अद्वैतानंद जी महाराज के जीवन में मिलती है… गुलामी के कालखंड में हमारा समाज उनके ज्ञान को भूलने लगा था। लेकिन उसी कालखंड में अनेक ऋषि मुनियों ने स्वामी अद्वैतानंद जी महाराज के विचारों से राष्ट्र की आत्मा को जोड़ा… आज दुनिया में भौतिक प्रगति के बीच हमारे सामने युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्यों से जुड़ी कई बड़ी चिंताएं हैं। इनके मूल में एक इंसान को दूसरे से अलग करने वाली मानसिकता है, कि मैं तुमसे अलग हूं… इन चुनौतियों का समाधान भी अद्वैत के विचारों में मिलेगा.”

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