India News (इंडिया न्यूज), Act Of War : पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा किए गए नरसंहार के बाद भारत भी जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। मोदी सरकार ने इसे लेकर पड़ोसी देश पर कूटनीतिक प्रहार भी शुरू कर दिया है। लेकिन भारत के लोग अब पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।

भारत ने सिंधु नदी का पानी रोकने का भी फैसला किया है। इससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। इसे लेकर पाकिस्तानी सरकार ने भारत को धमकी देते हुए कहा है कि अगर भारत सिंधु नदी का पानी रोकता है तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। इसके बाद कई लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ‘युद्ध की कार्रवाई’ क्या है? और इसका भारत पर क्या असर होगा। तो आइए जानते हैं इसका मतलब…

एक्ट ऑफ वॉर क्या है?

दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला, जिसमें पांच करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए। इस युद्ध में पहली बार परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया, जिससे भारी तबाही हुई। इसके बाद दुनिया भर के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मिलकर 1949 में जिनेवा कन्वेंशन में युद्ध के नियम तय किए। इसमें युद्ध को लेकर कई नियम बनाए गए। इन नियमों में बताया गया कि युद्ध कैसे लड़ा जाएगा और युद्ध में किस पर हमला किया जा सकता है।

युद्ध में कौन से हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा और किन चीजों को निशाना बनाया जाएगा। इसे युद्ध का नियम कहते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस कन्वेंशन के दौरान 161 नियम बनाए गए हैं और इन्हें 196 देशों ने मान्यता दी है। ये सभी देश इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। ये नियम तभी लागू होंगे जब हथियारों के बल पर दो या दो से अधिक देशों के बीच युद्ध लड़ा जा रहा हो।

एक्ट ऑफ वॉर के नियमों में क्या कहा गया है?

एक्ट ऑफ वॉर के नियमों की बात करें तो इसमें साफ लिखा है कि युद्ध के दौरान नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा पत्रकारों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी निशाना नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा रिहायशी इलाकों, स्कूलों, कॉलेजों, आम घरों, इमारतों, अस्पतालों और मेडिकल यूनिट्स पर हमला नहीं किया जा सकता। किसी देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर हमला नहीं किया जा सकता। इसके अलावा आम नागरिकों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर हमला नहीं किया जा सकता।

नियमों को तोड़ना युद्ध अपराध

कोई भी देश बिना चेतावनी के दूसरे देश पर हमला नहीं कर सकता। युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालने की जिम्मेदारी भी देश की होती है। ऐसे में आम नागरिकों को वहां से जाने से नहीं रोका जा सकता।

युद्ध के दौरान सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन अगर युद्ध के दौरान दुश्मन देश की सेना आत्मसमर्पण कर रही है तो उसके साथ मानवीय व्यवहार किया जाएगा। युद्ध बंदियों के साथ भी मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए।

युद्ध कानून के अनुसार अगर कोई देश इन नियमों का उल्लंघन करता है तो इसे युद्ध अपराध माना जाएगा और कानून के अध्याय 44 के अनुसार उस देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दर्ज किया जाएगा।

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