India News (इंडिया न्यूज), Premanad Maharaj: संत प्रेमानंद महाराज की प्रेरणादायी पदयात्रा, जो कि देर रात में श्री कृष्ण शरणम् से श्री हित राधा केली कुंज तक निकाली जाती थी, एक बार फिर से शुरू हो सकती है। एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष ने रविवार को संत प्रेमानंद महाराज से भेंट की और यात्रा रोकने के लिए अपनी गलती स्वीकारते हुए क्षमा मांगी। इसके साथ ही, उन्होंने उसी मार्ग पर दोबारा पदयात्रा शुरू करने की अपील की।

विवाद का कारण

एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के निवासियों ने पदयात्रा में बैंड बजाने और आतिशबाजी करने का विरोध किया था। उनके अनुसार, आतिशबाजी से उत्पन्न शोरगुल से कॉलोनीवासियों को परेशानी हो रही थी। इसके परिणामस्वरूप, संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी पदयात्रा रोक दी और आश्रम जाने के मार्ग को बदल दिया। इस परिवर्तन से दूर-दराज से आने वाले भक्तों को महाराज के दर्शन करने में कठिनाई होने लगी।

एक मां ही कैसे बन गई अपने बेटे की मौत का कारण…क्यों महाभारत में अपनी मां की वजह से भीष्म को गवानी पड़ी थी जान?

सोसाइटी अध्यक्ष की माफी और समाधान

रविवार को एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष केली कुंज पहुंचे और संत प्रेमानंद महाराज से भेंट की। उन्होंने बताया कि कुछ यू-ट्यूबरों ने कॉलोनीवासियों को भड़काने का प्रयास किया था, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। उन्होंने इस घटना के लिए खेद व्यक्त किया और यात्रा को फिर से उसी मार्ग पर शुरू करने की अपील की।

प्रेमानंद महाराज की प्रतिक्रिया

संत प्रेमानंद महाराज ने इस पूरे मामले पर धैर्य और करुणा से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमारा तो कोई विरोध नहीं है। हमारा काम है सबको सुख पहुंचाना। यदि किसी को हमारी यात्रा से दुख पहुंचा, तो हमने तुरंत मार्ग बदल दिया।” उन्होंने ब्रजवासियों की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्रजवासियों के प्रति किसी भी प्रकार का अपराध भगवत प्राप्ति में बाधा बन सकता है।

क्या वाकई इस दाल में मिला होता है खून का कण? हिंदू धर्म में सात्विक भोजन में भी नहीं की जाती शामिल!

ब्रजवासियों की महिमा

महाराज ने सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में ब्रजवासियों की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा, “ब्रजवासी भगवान के निज पार्षद हैं। उनकी तुलना तपस्या या साधना से भी नहीं की जा सकती। उनके चरणों में शीश झुकाना ही व्यक्ति का मंगल है। यदि ब्रजवासियों के प्रति अपराध हो जाता है, तो वह परम पद प्राप्ति में बाधा बन जाता है।” महाराज ने ब्रजवासियों की रहनी और व्यवहार को आलोचना से परे बताया और उन्हें भगवत स्वरूप मानने का आग्रह किया।

भविष्य की दिशा

सोसाइटी अध्यक्ष और संत प्रेमानंद महाराज के बीच हुई बातचीत के बाद यह संभावना बनी है कि पदयात्रा को फिर से उसी मार्ग पर शुरू किया जाएगा। इससे भक्तों में उत्साह का संचार होगा और विवाद का समाधान हो जाएगा।

किस नदी के जल में नहाते ही स्त्री बन गए थे युधिष्ठिर-अर्जुन…क्या हुआ था ऐसा उस वनवास के दौरान?

यह घटना केवल पदयात्रा या विवाद का विषय नहीं है, बल्कि यह ब्रजवासियों की महिमा और उनके प्रति सम्मान के महत्व को भी उजागर करती है। संत प्रेमानंद महाराज की यह शिक्षा कि ब्रजवासियों के प्रति आदर और श्रद्धा रखना ही भगवत प्राप्ति का मार्ग है, हर भक्त के लिए प्रेरणादायक है। आशा है कि इस विवाद के समाधान के बाद, भक्तजन पहले की तरह शांति और भक्ति के वातावरण में महाराज के दिव्य दर्शन कर सकेंगे।

Chanakya Niti: ये 5 कारण बनते है पति-पत्नी के बीच में दरार की सबसे बड़ी वजह, समय रहते अपनाएं चाणक्य की ये बातें और बचा लें रिश्ता!