India News (इंडिया न्यूज़), Raghav Chadda suspension: केंद्रीय राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने आप संसद के के निलंबन पर कहा कि “अगर राघव चड्ढा ने सचमुच किसी गलती या गलतफहमी के कारण ऐसा किया है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए थी, बजाय इसके कि उन्होंने पूरे मामले का मजाक बनाने की कोशिश की। और वह उन सदस्यों के बयानों का उपहास उड़ा रहे हैं जिनका नाम उन्होंने उनकी सहमति के बिना शामिल किया था। तो स्वाभाविक रूप से, यह सदस्यों के अधिकारों पर विशेषाधिकार का उल्लंघन है। इसलिए सदस्यों ने सभापति से शिकायत की और उस पर ध्यान देते हुए सदन के नेता ने प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी।”
क्यों निलंबित हुए राघव चड्डा?
7 अगस्त को दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में बहस हो रही थी। वोटिंग से पहले सांसद संशोधन या बिल पर अपना अन्य प्रस्ताव सभापति (या जो भी कुर्सी पर हो) को देते है। राघव चड्डा ने बिल को स्टैंडिग कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव दिया और कुछ सांसदो के नाम पर दिए, जिनको कमेटी में रखा जाना था।
पांचों सांसदों में कहा कि उनका नाम देने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई और उनका फर्जी हस्ताक्षर किया गया। इन सांसदों में सस्मित पात्रा (BJD), नरहरि अमीन (BJP), सुधांशु त्रिवेदी (BJP), नागालैंड से सांसद फांगनोन कोन्याक (BJP) और लोकसभा के पूर्व उपसभापति और अन्नाद्रमुक सांसद थंबीदुरई शामिल थे। तब उपसभापति ने कहा था कि मामले की जांच कराई जाएगी।
संजय सिंह क्यों हुए सस्पेंड?
24 जुलाई को राज्यसभा में विपक्ष मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रखा था। तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस पर चर्चा बाद में की जाएगी प्रश्नकाल चलने दिया जाए। प्रश्न काल कुछ ही मिनटों तक चला। इसके बाद संजय सिंह सभापति की कुर्सी के पास तक आ गए। सभापति ने उन्हें वापस जाने को कहा, लेकिन वो माने नहीं। बाद में पीयूष गोयल ने उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और सदन की सहमति से संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
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