India News (इंडिया न्यूज), Raj Thackeray News: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इतना ही नहीं याचिकाकर्ता उत्तर भारतीय विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने चुनाव आयोग से मनसे की मान्यता रद्द करने की भी मांग की है। राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा के मौके पर अपने कार्यकर्ताओं को कुछ आदेश दिए थे। राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे जांच करें कि बैंकों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। इसके बाद राज्य भर में मनसे कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग बैंकों में जाकर मराठी भाषा के इस्तेमाल को लेकर हंगामा किया, कई जगहों पर तो हिंसा भी हुई।

मनसे की मान्यता रद्द करने की मांग

इसके बाद उत्तर भारतीय विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि मनसे कार्यकर्ता हिंदी भाषियों पर हमला कर रहे हैं और ऐसा राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों की वजह से हो रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से मनसे की मान्यता रद्द करने की भी मांग की है। जिसके बाद मनसे की तरफ से जवाब आया है।

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मनसे मुंबई अध्यक्ष ने क्या कहा?

मनसे मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर धमकी पोस्ट करते हुए लिखा, “कई भाई कोर्ट में जाकर कह रहे हैं कि मनसे की मान्यता रद्द होनी चाहिए। अगर वे मराठी लोगों की पार्टी को बंद करने की कोशिश करने जा रहे हैं, तो हमें इस बात पर विचार करना होगा कि भैया को मुंबई, महाराष्ट्र में रहने दिया जाए या नहीं।”

संजय निरुपम ने दी ये प्रतिक्रिया

अब इस मामले में शिंदे की सेना भी कूदती नजर आ रही है। शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने मनसे के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, “महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों से मराठी बोलने का मनसे का अनुरोध कोई नई बात नहीं है। महाराष्ट्र की मिट्टी से जुड़े होने के नाते मराठी भाषा का सम्मान करना सभी का कर्तव्य है, चाहे वह औपचारिक स्थिति हो या अनौपचारिक, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो लोग हाल ही में शहर में आए हैं या जिन्हें मराठी बोलना नहीं आता, उन पर दबाव डाला जाए या उनकी पिटाई की जाए।

उन्होंने आगे कहा, “किसी भी भाषा को सिखाने का रास्ता प्यार और संवाद से होकर जाता है, हिंसा और धमकियों से नहीं। हाल ही में कुछ बैंकों में कर्मचारियों पर हुए हमले जैसी घटनाएं निंदनीय हैं।” हालांकि इस मामले में राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को पत्र लिखकर कहा है कि फिलहाल भाषा को प्यार और बातचीत के जरिए सिखाया जाना चाहिए।

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