India News (इंडिया न्यूज)Raj Thackeray On Hindi Row: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी भाषा का कार्ड खेला है। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे को पत्र लिखकर कहा है कि अगर स्कूलों में हिंदी सीखना अनिवार्य किया गया तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी।

उन्होंने पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए कहा, “पिछले 2 महीने से सरकार पहली कक्षा से हिंदी भाषा पढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र में काफी हंगामा मचा रही है। शुरुआत में घोषणा की गई थी कि पहली कक्षा से छात्रों को तीन भाषाएं पढ़ाई जाएंगी और हिंदी भाषा तीसरी अनिवार्य भाषा होगी। जिसके खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने आवाज उठाई और जिसके कारण जनभावना पैदा हुई। वह जनभावना इतनी प्रबल थी कि सरकार ने घोषणा कर दी कि तीसरी भाषा के लिए हिंदी भाषा को अनिवार्य नहीं किया जाएगा।”

आफत की काली छाया लेकर भारत पहुंची ‘शापित’ मछली, एक बड़े भूचाल का संकेत! सोशल मीडिया पर मचा कोहराम

हिंदी को अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है? – राज ठाकरे

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, ‘मूल रूप से हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है, यह देश के अन्य राज्यों की भाषाओं की तरह ही एक भाषा है। इसे सीखना अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है? मुझे नहीं पता कि सरकार किसी दबाव के आगे क्यों झुक रही है।’ वहीँ, मूल रूप से मुद्दा यह है कि बच्चों को पहली कक्षा से ही तीन भाषाएँ क्यों सिखाई जानी चाहिए। फिर, उस संबंध में आपने घोषणा की है कि महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम वाले स्कूलों में पहली कक्षा से केवल दो भाषाएँ ही पढ़ाई जाएँगी। लेकिन इस घोषणा का लिखित अध्यादेश अभी तक क्यों नहीं आया है?”

आंदोलन हुआ इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार

महाराष्ट्र के मेरे सैनिक जानते हैं कि पहले की तीन भाषाओं को पढ़ाने और उनमें हिंदी को शामिल करने के फैसले के आधार पर हिंदी में पुस्तकों की छपाई शुरू हो गई है। अब जबकि पुस्तकें छप चुकी हैं, तो क्या सरकार अपने ही निर्णय के विरुद्ध फिर से ऐसा कुछ करने की योजना नहीं बना रही है? मेरा मानना ​​है कि ऐसा कुछ नहीं होगा, लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जो आंदोलन करेगी, उसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।

शिक्षा विभाग लिखित आदेश जारी करे- राज ठाकरे

देश के कई राज्यों ने कक्षा एक से केवल दो भाषा और हिंदी की अनिवार्यता छोड़ दी है, इसका कारण उन राज्यों की भाषाई पहचान है। (मंत्री महोदय, आप और आपके साथी मंत्री भी जन्म से मराठी हैं, आप हिंदी का विरोध करने वाले अन्य राज्यों की तरह कब व्यवहार करेंगे और अपनी भाषाई पहचान कब और कैसे विकसित करेंगे?) मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं कि वह उन अन्य राज्यों की तरह एक मजबूत पहचान दिखाए। इसलिए शिक्षा विभाग जल्द से जल्द लिखित आदेश जारी कर यह तय करे कि कक्षा एक से आगे केवल दो भाषाएं (मराठी और अंग्रेजी) पढ़ाई जाएंगी।

शुक्रवार को जरूर दीजिये अपनी पत्नी को ये 5 चीजें, दाम में जितनी सस्ती लेकिन बना देंगी आपको लखपति, मां लक्ष्मी को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है ये वस्तुएं