नई दिल्ली (Rajya Sabha: National Foreign Scholarship is being implemented by the Department of Social Justice and Empowerment) : कोरोना काल 2020 को छोड़ दें तो हर साल विदोशों में पढ़ने वालें छात्रों कि संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

संसद के बजट सत्र में राज्य सभा के सांसद कार्तिक शर्मा ने विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन से विदेश जाने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना के बारे में राज्य मंत्री से लिखित जवाब मांगा। आज मंत्री वी. मुरलीधरन ने सांसद कार्तिक शर्मा के  सवालों पर लिखित जवाब देते हुए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कार्तिक शर्मा से साथ-साथ पूरे देश को जानकारी दी।

क्या थे सांसद कार्तिक शर्मा के सवाल ?

सांसद कार्तिक शर्मा ने आज संसद में विदेश राज्या मंत्री से एक के बाद एक पांच सवाल पूछे। कार्तिक शर्मा ने पहला सवाल पूछा कि क्या यह सच है कि विगत तीन वर्षों के दौरान भारत से बाहर जाकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है ? अपने दूसरे सवाल में उन्होंने पूछा कि अगर बढ़ोतरी हुई है तो राज्य वार तरीके से ब्यौरा दें कि किस राज्य से कितने बच्चें बाहर पढ़ने गए हैं ? सांसद शर्मा ने अपने तीसरे सवाल में पूछा कि सरकार ने विगत पांच वर्षों के दौरान छात्रों द्वारा पढ़ाई के लिए वीजा प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं ? अपने चौथे सवाल में कार्तिक शर्मा ने छात्रवृति योजना के बारे में पूछा। कार्तिक शर्मा ने पूछा कि क्या सरकार द्वारा विदेश जाने वाले विद्यार्थियों के लिए कोई छात्रवृति योजना प्रस्तावित है ? अपने पांचवे और अंतिम सवाल में सांसद ने पूछा कि यदि छात्रवृति योजना प्रस्तावित है तो इस योजना का लाभ उठाने की क्या प्रक्रिया है?

विदेश मंत्री वी. मुरलीधरन का जवाब

सांसद कार्तिक शर्मा के सवालों का लिखित जवाब देते हुए मंत्री वी. मुरलीधरन ने राज्यवार ब्योरा देने की बजाय प्रतिवर्ष के हिसाब से ब्योरा दिया। मंत्री मुरलीधरन ने आप्रवासन ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले पांच वर्षों के दौरान पढ़ाई के लिए विदेश जाने छात्रों के बारे में जानकारी दी। अपने जवाब में मंत्री मुरलीधरन ने बताया कि साल 2018 में 5,18,015 लाख छात्र, साल 2019 में 5,86,337 छात्र, कोरोना के साल 2020 में 2,59,655 छात्र, साल 2021 में 4,44,553 छात्र और पिछले साल 2022 में 7,50,365 छात्र विदेशों में पढ़ने गए थे।

आकंड़ो से साफ है कि यदि कोरोना काल का साल 2020 को छोड़ दें तो हर साल विदोशों में पढ़ने वालें छात्रों कि संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मंत्री जी ने तीसरे सवाल का जवाब देते हुए बताया कि सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने के मुद्दे को संबंधित सरकारों के साथ उठाया है। विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि वीज़ा प्रदान करना किसी भी सरकार का संप्रभु निर्णय और विशेषाधिकार है, जो उनकी प्रक्रियाओं के आधार पर उनकें मिशनों के माध्यम से किया जाता है, जिसमें छात्र वीज़ा जारी करने के लिए विशिष्ट मानदंड होते हैं।

आखिरी दो प्रश्नों का जवाब देते हुए मंत्री मुरलीधरन ने बताया कि राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जिसके तहत अनुसूचित जातियों, विमुक्त बंजारा और अर्ध-बंजारा जनजातियों, भूमिहीन खेतिहर मजदरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणी आदि से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में अध्ययन करके उच्च शिक्षा अर्थात मास्टर डिग्री या पीएचडी पाठ्यक्रम प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है। राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश और प्रक्रिया विशेर्षों रूप से इस उद्देश्य के लिए तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल (http://nosmsje.gov.in/) पर उपलब्ध है।

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