India News(इंडिया न्यूज), Ayodhya Ram Mandir:  राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 2019 में फैसला सुनाने वाल पांच सुप्रीम कोर्ट के जजों को निमंत्रण भेजा गया। वहीं 22 जनवारी को होने वाले कार्यक्रम में इन 5 जजों में केवल एक ही जज शामिल होने जा रहे है। मालूम हो कि साल 2019 में राम मंदिर और -बाबरी मस्जिद भूमि पर 150 साल से अधिक पुराने चल रहे इस विवाद का निपटारा इन जजों ने सर्वसम्मती से किया था।

बता दें कि भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे, (वर्तमान सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नज़ीर ने 2019 के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की अनुमति दी थी। हालांकि, पूर्व सीजेआई गोगोई और बोबडे, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नजीर कुछ कारणों से सोमवार को भव्य समारोह में शामिल नहीं होंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जस्टिस भूषण इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

शामिल ना होने का ये है कारण

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई असम में दशकों पहले अपनी मां द्वारा शुरू किए गए अनाथालयों, गैर सरकारी संगठनों के प्रबंधन में व्यस्त हैं। टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, न्यायमूर्ति गोगोई, जो राज्यसभा सांसद हैं, अपने एमपीएलएडी फंड से निर्वाचन क्षेत्रों में की जा रही कल्याणकारी परियोजनाओं का भी जायजा ले रहे हैं। इसके साथ ही, CJI चंद्रचूड़ इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे क्योंकि यह SC में कार्य दिवस है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बोबडे ने अभी तक मंदिर के अधिकारियों को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में अपनी भागीदारी के बारे में सूचित नहीं किया है। जस्टिस नजीर, जो अयोध्या पीठ में एकमात्र मुस्लिम जज थे, अब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हैं। उन्होंने पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण समारोह में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है। हालाँकि, न्यायमूर्ति भूषण ने “ऐतिहासिक कार्यक्रम” में भाग लेने के लिए अपनी भागीदारी की पुष्टि की है।

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