इंडिया न्यूज़, चंडीगढ़: चुनावी नतीजे आने के बाद ये प्रश्न सबके जहन में रहा कि आखिर कांग्रेस किन कारणों से चुनाव हार गई। इतिहास विषय़ के पेपर में एक सवाल हमेशा से पूछा जाता रहा है कि मुगलों के पतन के क्या कारण रहे, बिल्कुल ऐसा ही सवाल यहां भी चर्चा मे रहा कि चुनाव में कांग्रेस की हार व पतन के क्या कारण रहे। इसके पीछे कई कारण हैं। इस बारे में पार्टी व इसको दिग्गज नेताओं को निरंतर चिंतन व मंथन की गहन आवश्यकता है कि आखिर पार्टी रसातल में क्या जा रही है।
पार्टी का वोट रद्द होना ताबूत में कील साबित हुआ
कुलदीप बिश्नोई के विपक्ष में वोट डालने के बाद भी कांग्रेस की चुनाव जीतने की संभावनाएं धूमिल नहीं हुई थी। लेकिन जब वोटों की काउंटिग में सामने आया कि एक वोट रद्द हो गई तो पार्टी की हार तय हो गई। ऐसे में यहां सवाल ये है कि ये वोट क्या जानबूझ कर रद्द करवाई गई है। सबसे अहम सवाल ये है कि जो उस वक्त पार्टी के चुनाव एजेंट थे, उनको ये नहीं देखा कि संबंधित वोट पर प्राथमिकता लिखने की बजाय टिक मार्क कर दिया गया है। मतपत्र पर प्राथमिकता मार्क करना बेहद जरुरी था लेकिन प्राप्त जानकारी अनुसार वहीं मार्क किया गया था जिसके चलते एक वोट रद्द हो गई।
एक सप्ताह चले कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर के बाद भी निराशा हाथ लगी
पार्टी द्वारा क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए विधायकों को करीब एक सप्ताह के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक होटल में ठहराया गया था और इसको प्रशिक्षण शिविर की संज्ञा दिया गई। अब यहां सवाल ये है कि जब वहां चुनाव में वोटिंग को लेकर ट्रेनिंग दी गई थी तो फिर वोट गलत कैसे पड़ी और इसके चलते फिर रद्द हो गई।
अति-आत्मविश्वास व आपसी कलह भी ले डूबी
पार्टी की हार के अन्य कारणों में पार्टी का अति-आत्मविश्वास भी माना जा रहा है। पार्टी को खुद पर जरूरत से ज्यादा भरोसा था कि वो चुनाव जीत जाएगी लेकिन ये हो ना सका। इसके अलावा पार्टी के अंदर जारी निरंतर कलह भी हार के प्रमुख कारणों में रही। इसी का नतीजा था कि कुलदीप ने पार्टी कैंडिडेट को वोट नहीं डाली।
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