India News (इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill : सोमवार से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है, जहां पर सरकार और विपक्ष के बीच वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जमकर बवाल होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। मोदी सरकार इस विधेयक को जितनी जल्दी हो सकेगा उतनी जल्दी पारित कराने पर जोर देगी। लेकिन संसद के बाहर भी वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गर्मा-गर्मी बनी हुई है। इसी कड़ी में जमीयत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी ने इसे लेकर बड़ी घोषणा कर दी है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी ने कहा है कि अगर खुदा ना खासता वक्फ क़ानून पास हो जाता है, तो जमीयत उलमा-ए-हिंद इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। उनकी तरफ से कहा गया कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा हमारा धार्मिक कर्तव्य है। अपने हक के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना हर नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है।

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मदनी ने बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि लड़ाई हिंदू और मुसलमान के बीच नहीं, बल्कि सांप्रदायिकता और सेक्युलरिज़्म के बीच है। साथ ही मदनी ने 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

न्यूज एजेंसी IANS के साथ बात करते हुए मदनी ने कहा कि, वक्फ हमारा मजहबी मामला है. सियासी पार्टियां इसमें छोटा-मोटा संशोधन करके वक्फ बिल को लाने की तैयारी कर रही हैं। हम इसका विरोध कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इस्लाम के खिलाफ वाली पार्टियां बिल को लाना चाहती हैं। गैर जिम्मेदार पार्टियां चाह रही हैं कि इस देश में मुस्लिमों को जिंदा नहीं रहने दिया जाए, हम इसके खिलाफ हैं।

‘देश के कानून की कोई अहमियत नहीं’

आगे अरशद मदनी ने कहा कि, 1991 के वर्शिप एक्ट के तहत 1947 के बाद जो चीजें जैसी हैं वो वैसी ही रहें। बीजेपी पर वार करते हुए कहा कि मुस्लिम विरोधी पार्टियों ने इसका पालन नहीं किया। वाराणसी की मस्जिद या अन्य जगहों की मस्जिद को इस कानून के अंदर रखना चाहिए लेकिन लगता है कि देश के कानून की कोई अहमियत नहीं है। इसके अलावा मदनी ने 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसमें बड़ी संख्या में मुसलमानों और अन्य लोगों से शामिल होने की अपील की गई है।

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