India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Politics News : महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर से गरमाई हुई है। यहां पर सत्ता में बैठी महायुति की दो प्रमुख पार्टियों बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच में एक बार फिर से अनबन शुरू हो गई है। सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच मामला बढ़ता हुआ दिख रहा है। हाल ही में एकनाथ शिंदे ने धमकी दी थी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए। इससे महाराष्ट्र का सियासी माहौल काफी गर्मा गया था। उसके बाद सब शांत था लेकिन बीजेपी अब शिंदे के गढ़ में दस्तक देने की तैयारी कर रही है।
महाराष्ट्र के वन मंत्री और बीजेपी नेता गणेश नाईक ठाणे में आज सोमवार को जनता दरबार लगाया है। ये इलाका शिवसेना प्रमुख का मजबूत गढ़ माना जाता है। बीजेपी नेता का ठाणे में जनता दरबार लगाना बीजेपी के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। इसी लिए महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर कहा जाता है कि यहां पर कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।
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शिंदे ने इशारों-इशारों में दी थी बीजेपी को धमकी
शिवसेना प्रमुख और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इशारों-इशारों में बीजेपी को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था, मुझे हल्के में मत लो। जिन्होंने हल्के में लिया था, उनकी गाड़ी पलट गई। उनका इशारा साफ तौर पर उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की ओर था। उन्होंने आगे कहा, जो समझना चाहते हैं, वो समझ लें। मैं अपना काम करता रहूंगा। शिंदे का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भाजपा और शिवसेना के बीच तनाव की खबरें जोरों पर हैं। बीते कुछ हफ्तों में दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ती नजर आई हैं।
वहीं बीजेपी नेता के जनता दरबार को लेकर शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद नरेश म्हास्के ने इस कार्यक्रम को ज्यादा तवज्जो न देने की बात कही है। नरेश म्हास्के ने कहा कि जब एकनाथ शिंदे ठाणे आते हैं, तो हजारों लोग उनसे मिलने आते हैं। हमारे यहां भी लोग दफ्तर में आकर समस्याएं बताते हैं।
फडणवीस की पलटवार
गणेश नाईक के बेटे और पूर्व सांसद संजीव नाईक ने स्पष्ट किया कि जनता दरबार का मकसद सिर्फ जनता की समस्याएं सुनना है। उन्होंने कहा, यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर हो रहा है. सरकार चाहती है कि मंत्री जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं हल करें। बता दें कि गणेश नाईक और एकनाथ शिंदे की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पुरानी है। नाईक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में थे और नवी मुंबई में उनका दबदबा था, जबकि शिंदे ठाणे और पालघर क्षेत्र में शिवसेना के प्रमुख नेता थे। दोनों के बीच राजनीतिक टकराव वर्षों से चला आ रहा है।
वहीं किसी भी तरह के कोल्ड वॉर से शिंदे और बीजेपी दोनों ने ही इंकार किया है। लेकिन इसके बाद भी सीएम और डिप्टी सीएम के बीच इशारों-इशारों में अनबन देखने को मिल रही है। अब ये देखना होगा कि इससे महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में कौन सा नया मोड़ आता है।