India News (इंडिया न्यूज), Hypersonic Missiles: इतिहास से लेकर वर्तमान तक, जब भी हम किसी बड़े युद्ध के बारे में पढ़ते हैं, तो मिसाइलों का जिक्र जरूर होता है। रूस-यूक्रेन युद्ध की बात करें तो कई बार दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ खतरनाक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। जब भी मिसाइलों की बात आती है, तो हम तीन शब्द सुनते हैं- क्रूज़, बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक। कई बार हम इन तीनों मिसाइलों को एक ही समझ लेते हैं और कंफ्यूज हो जाते हैं। क्या आप इन मिसाइलों के बारे में जानते हैं? दुनिया के कई देशों के पास क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। हालांकि, हाइपरसोनिक मिसाइलें बहुत कम देशों के पास हैं। इन मिसाइलों के हमले से दुश्मन के बच निकलने की संभावना न के बराबर होती है। 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, क्रूज मिसाइलों में जेट इंजन का इस्तेमाल होता है और लॉन्च होने के बाद ये धरती के लगभग समानांतर एक सीधी रेखा में आगे बढ़ती हैं। इन मिसाइलों को पानी, जमीन या हवा से दागा जा सकता है। क्रूज़ मिसाइलों का इस्तेमाल कम दूरी के हमलों के लिए किया जाता है।

क्या है बैलिस्टिक मिसाइलों की खासियत?

बैलिस्टिक मिसाइलों की बात करें तो ये क्रूज मिसाइलों से ज्यादा खतरनाक होती हैं और क्रूज मिसाइलों की तरह सीधी रेखा में नहीं चलती हैं। लॉन्च होने के बाद ये मिसाइलें आसमान की ऊंचाई तक जाती हैं और वायुमंडल को भी भेद सकती हैं। ये मिसाइलें गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के आधार पर काम करती हैं। वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद ये अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ती हैं। इन मिसाइलों का इस्तेमाल लंबी दूरी के हमलों के लिए किया जाता है।

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इन 4 देशों के पास है हाइपरसोनिक मिसाइलें

दूसरी ओर, हाइपरसोनिक मिसाइलें क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से ज्यादा खतरनाक होती हैं। ऐसी मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना तेज गति से चलती हैं। यानी इनकी क्षमता 6100 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे भी ज्यादा होती है। हाइपरसोनिक मिसाइलों की गति के कारण उन्हें ट्रैक करना और उन पर निशाना साधना काफी मुश्किल होता है। वहीं, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को कम गति के कारण ट्रैक किया जा सकता है। दुनिया में अब तक सिर्फ चार देश ही ऐसे हैं जिन्होंने हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। इनमें रूस, अमेरिका, चीन और भारत शामिल हैं। ये मिसाइलें चंद सेकेंड में दुश्मन के घर में तबाही मचा सकती हैं।

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