India News(इंडिया न्यूज),Russia-India: रूस ने चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी रुचि दिखाई है। जहां ये भी खबर सामने आ रही है कि, रूस अब इस वैकल्पिक समुद्री मार्ग के विकास और कारोबार संबंधी अवसरों के बारे में पता लगाने के लिए अपने व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल चेन्नई भेजने वाला है।मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, रूस की यह प्रस्तावित समुद्री गलियारा समुद्री कारोबार बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है, जिससे दोनों देशों की बीच परिवहन समय 16 दिन कम हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री सोनेवाल ने दिया आमंत्रण
इस पूरे मामले को लेकर रूस की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, रूस के ऊर्जा उप मंत्री सर्गेई मोकानिकोव और आर्थिक विकास मंत्रालय के मैक्सिम रेशेतनिकोव के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री मंत्री सर्वानंद सोनोवाला के साथ एक बैठक के दौरान इस कॉरिडोर को लेकर रूस की राय से अवगत कराया। जानकारी के लिए बता दें कि, केंद्रीय मंत्री सोनोवाल आठवीं पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक में हिस्सा लेने के लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ व्लादिवोस्तोक में हैं।
सोनेवाल ने दी जानकारी
रूस के इस रुची की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि, पूर्वी समुद्री गलियारे से भारत-रूस के बीच व्यापार संबंधों के एक नए युग की शुरुआत होगी। सोनोवाल ने कहा कि 2015 में समुद्र तट और जलमार्गों की पूरी क्षमता के इस्तेमाल के उद्देश्य के साथ सागरमाला पहल शुरू की गई थी। अभी इसके तहत 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की 802 परियोजनाएं हैं, जिनमें 14.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 228 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
ये भारत और रूस के लिए कैसे कारगर है
1. दोनों देशों के बीच समुद्र के रास्ते कारोबार का समृद्ध इतिहास रहा है। यह कॉरिडोर विकास और निवेश सहयोग के साथ समुद्री कारोबार में अपार संभावनाएं बढ़ाएगा।
2. अभी यूरोप के रास्ते भारत से सुदूर पूर्व रूस तक माल परिवहन में तकरीबन 40 दिनों का समय लगता है जो इस कॉरिडोर के बनने से घटकर 24 दिन ही रह जाएगा।
3. मुंबई और रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बीच मौजूदा व्यापार मार्ग 8,675 समुद्री मील का है और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग में यह दूरी 5,600 समुद्री मील रह जाएगी।
4. यानी 20-25 नॉट (37-46 किमी/घंटा) की सामान्य क्रूजिंग गति से सफर करने वाला एक बड़ा कंटेनर जहाज इस दूरी को 10 से 12 दिनों में तय करने में सक्षम होगा।
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