India News (इंडिया न्यूज), Sambhal History: संभल प्रशासन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के साथ एक पुरानी बावड़ी का सर्वे करने जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने कराया था। संभल के चंदौसी में मिली यह बहुमंजिला बावड़ी पहले 5 मंजिला बावड़ी जैसी दिखती थी लेकिन अब यह 2 मंजिला बावड़ी जैसी दिखती है। यह जानकारी सामने आ रही है कि, सरकार ने इस बावड़ी को नजरअंदाज कर दिया था। लेकिन आज विभाग और संभल प्रशासन इस बावड़ी की सुध लेने आया है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यह बावड़ी संभल जिले के चंदौसी के लक्ष्मणपुर गांव में मिली है। इस बावड़ी के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण तब हुआ था जब संभल पृथ्वी राज चौहान की राजधानी हुआ करती थी।
दो मंजिला जैसी दिखती है यह बावड़ी
बता दें कि, रानी सुरेंद्र बाला की यह बावड़ी वर्तमान में दो मंजिला जैसी दिखती है। इस बावड़ी के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि, पहले यह 5 मंजिला हुआ करती थी, जबकि यह भी कहा जाता है कि यह 16 मंजिला थी, लेकिन इसे मिट्टी से भर दिया गया था। यह बावड़ी सैन्य टुकड़ियों के लिए बनाई गई थी और पहले इसमें सैनिक रहा करते थे। दिलचस्प बात यह है कि संभल में कई हिंदू मंदिर मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, कई और बावड़ियाँ और दूसरी पुरातात्विक चीजें मिल रही हैं। स्थानीय किंवदंतियाँ भी मिल रही हैं और कहा जा रहा है कि संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। उत्तर प्रदेश जल प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, संभल के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का जिक्र जरूर है।
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क्या कहते हैं ऐतिहासिक स्रोत?
जिला प्रशासन की वेबसाइट पर लिखा है कि, “दिल्ली के आखिरी हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान ने 12वीं सदी में मुहम्मद गजनी के भतीजे गाजी सैय्यद सालार मसूद के साथ दो भीषण युद्ध लड़े थे। पहली लड़ाई में चौहान की जीत हुई और दूसरी लड़ाई में भी यही हुआ। हालांकि, इसे साबित करने के लिए कोई परिस्थितिजन्य सबूत नहीं है और इसे व्यापक रूप से एक किंवदंती माना जाता है।” यह भी उल्लेख किया गया है कि इसके बाद भी संभल पर एक हिंदू शासक का शासन था, जिसे दिल्ली के सुल्तान ने हटा दिया था। यह स्पष्ट है कि यह कथन कि उसका साम्राज्य संभल (जो वर्तमान उत्तर प्रदेश में स्थित है) तक फैला हुआ था, ऐतिहासिक स्रोतों से पूरी तरह से साबित नहीं होता है।