India News (इंडिया न्यूज़), Beant Singh Assassination, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना को राहत देने से इनकार कर दिया। उसे साल 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से उसकी दया याचिका पर उचित समय पर कार्रवाई करने को कहा।

  • केंद्र सरकार को फैसला लेना है
  • 26 साल जेल में बिताए
  • दया याजिका दायर की थी

जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने केंद्र के अधिकृत अधिकरी से राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने के लिए कहा और जब वह उचित समझे। राजोआना ने अपनी दया याचिका पर विचार करने में देरी के लिए मौत की सजा को कम करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

26 साल काटे कैद में

इससे पहले शीर्ष अदालत ने राजोआना की दया याचिका पर अब तक कोई फैसला नहीं लेने पर केंद्र सरकार से सवाल किया था। पिछले साल, शीर्ष अदालत ने केंद्र को राजोआना की दया याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था, जिसमें 26 साल की लंबी कैद के आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की गई थी।

केंद्र ने नहीं लिया फैसला

राजोआना ने सितंबर 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा अपनी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले को लागू करने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती के अवसर पर उनकी मौत की सजा को कम करने और आठ अन्य दोषियों को छूट देने के अपने फैसले की घोषणा की थी।

1995 में हुई हत्या

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा, जिनकी 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में एक बम विस्फोट में मृत्यु हो गई थी। केंद्र ने 27 सितंबर, 2019 को गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के विशेष अवसर पर राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का फैसला किया था।

दो साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन निर्णय अभी तक लागू नहीं किया गया है। चंडीगढ़ की एक अदालत ने 27 जुलाई, 2007 को राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 12 अक्टूबर, 2010 को बरकरार रखा था। राजोआना ने फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की और इसके बजाय दया याचिका दायर की।

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