- द्रौपदी के विवाह को राजी नहीं थे उनके पिता, दहेज में दिए थे गाय-बैल
इंडिया न्यूज,दिल्ली न्यूज,(School built name husband) : द्रौपदी मुर्मू का ससुराल पहाड़पुर गांव में है। यहां उन्होंने अपने पति की मृत्यू के बाद अपने घर को ही स्कूल के रूप में बदल कर उसका नाम अपने पति के नाम पर श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय रखा । द्रौपदी ने अगस्त 2016 में अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। ये दोनो एक दूसरे से शादी करना चाहते थे ।
लेकिन द्रोपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू इस रिश्ते को राजी नहीं थे । उसके बाद परिवार की रजामंदी से विवाह को लेकर श्याम चरण अपने चाचा के साथ द्रोपदी के घर इनके पिता से रिश्ते की बात करने गए । लेकिन उन्होंने मना कर दिया । वहीं श्याम चरण भी तीन दिनों तक उसी गांव में अपने रिश्तेदारों के पास रहे,फिर कही जाकर द्रोपदी के पिता शादी के राजी हुए । शादी में द्रोपदी को श्याम चरण के पिता ने दहेज में गाय-बैल व कपड़े दिए गए ।
द्रोपदी मुर्मू के बारे में जानकारी
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून साल 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। मुर्मू संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह किसान थे। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दोनों से चार बच्चे हुए। इनमें दो बेटे और दो बेटियां। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। इसके बाद 2009 में एक और 2013 में दूसरे बेटे की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। 2014 में मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू की भी मौत हो गई है। बताया जाता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था। अब उनके परिवार में सिर्फ एक बेटी है। जिनका नाम इतिश्री है।
कॉलेज में पढ़ाई करने वाली गांव की पहली लड़की थी मूर्मु
मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।
दहेज में गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े मिले
शादी के लिए द्रौपदी के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ दिन बाद श्याम से द्रौपदी का विवाह हो गया। बताया जाता है कि द्रौपदी और श्याम की शादी में लाल-पीले देसी मुर्गे का भोज हुआ था। तब लगभग हर जगह शादी में यही बनता था।
पंक्तियां खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ जाएंगे
द्रौपदी मुर्मू के पति श्याम मुर्मू की प्रतिमा पर उड़िया में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं, जिसका हिंदी में मतलब है- खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ जाएंगे, इसलिए सदा अच्छे काम करें।
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