India News (इंडिया न्यूज), Budget 2024: भारतीय संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का पहला बजट एक अंग्रेज ने पेश किया था, तो चलिए जानते हैं कि आजाद भारत का पहला आम बजट करने वाले वो वित्त मंत्री कौन हैं? जिन्हें भारतीय बजट का जनक माना जाता है।
बता दें कि, आजाद भारत का पहला आम बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था, जिसे शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। इसीलिए उन्हें भारतीय बजट का जनक कहा जाता है। चेट्टी का जन्म साल 1892 में एक धनी और धार्मिक तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता कंडास्वामी चेट्टियार कोयंबटूर मिल के मालिक और व्यवसायी थे। चेट्टी ने जाने-माने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से डिग्री हासिल की थी।
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सिविल सेवा में भेजना चाहते थे पिता
चेट्टी के पिता चाहते थे कि वे सिविल सेवा में जाएं, लेकिन चेट्टी का बचपन से ही व्यक्तित्व अलग रहा। शनमुखम मद्रास जाकर पढ़ाई करना चाहते थे, जिसके लिए उनके दादा रामास्वामी चेट्टियार ने परिवार को तैयार किया था। चेट्टियार बाद में कोयंबटूर नगर पालिका में पार्षद और उपाध्यक्ष बने। 1920 से 1921 के बीच वे मद्रास विधानसभा के सदस्य रहे। उन्होंने जस्टिस पार्टी के टिकट पर मद्रास विधानसभा का चुनाव लड़ा।
नेहरू ने बनाया था चेट्टी को वित्त मंत्री
शनमुखम चेट्टी सन् 1924 में स्वराज पार्टी की ओर से सेंट्रल असेंबली के लिए चुने गए। 1932 में वे सेंट्रल असेंबली के डिप्टी स्पीकर और 1933 में स्पीकर चुने गए जिसके बाद 1935 में वे चुनाव हार गए। इसके बाद वे दक्षिण लौट आए और 1935 से 1941 तक कोचीन स्टेट के दीवान रहे। देश को आजादी मिलने के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बनाया। जिसके बाद 5 मई 1953 को हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई।
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स्वतंत्र भारत का पहला बजट शनमुखम चेट्टी ने किया पेश
साल 1947 में भारत की आजादी के बाद से कई वित्त मंत्रियों ने बजट पेश किया है, लेकिन स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश करने का श्रेय शनमुखम चेट्टी को जाता है। इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान कंपनी शुरू में उठे विद्रोहों को दबाने में खस्ताहाल थी। ऐसे में साल 1860 में कंपनी को खर्च और आय का हिसाब रखने की जरूरत महसूस होने लगी। इसके लिए ब्रिटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन को चुना गया। महारानी विक्टोरिया ने उन्हें साल 1859 में भारत भेजा, ताकि बजट बनाया जा सके और टैक्स को लेकर कानून बनाए जा सकें। भारत में कागजी मुद्रा शुरू करने की योजना भी तभी बनी।
इस बजट को कहा जाता है ब्लैक बजट
इसके बाद जब इंदिरा गांधी देश प्रधानमंत्री बनी जिसके बाद 1973-74 का बजट पेश किया गया है जिसे देश का ‘ब्लैक बजट’ कहा जाता है। जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री रहे यशवंत राव बी चव्हाण ने पेश किया था। इस बजट में 550 करोड़ रुपए का घाटा था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा बजट घाटा था। जानकारी के लिए बता दें कि, यह बजट साल 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध और खराब मानसून से प्रभावित था।