इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Supreme Court) : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ना संवैधानिक अधिकार नहीं है और न ही यह सामान्य कानूनी अधिकार के तहत आता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात एक मामले की सुनवाई के दौरान कही। इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुमार्ना लगाने के साथ ही उक्त याचिका को भी खारिज कर दी।
राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने का मुद्दा उठाने वाली याचिका को इस आधार पर निराधार पाया गया कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 और चुनाव आचार संहिता के नियमों, 1961 के तहत नामांकन पत्र भरने के दौरान अनिवार्य रूप से प्रत्याशी का नाम प्रस्तावित होना चाहिए। याचिकाकर्ता बिना किसी प्रस्तावक के राज्यसभा चुनाव लड़ना चाहता था।
चुनाव न लड़ने पर नहीं होगा मौलिक अधिकारों का हनन
न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है और ऐसा नहीं होने पर उसके मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता विश्वनाथ प्रताप सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर करके यह मुद्दा उठाया था।
12 मई को जारी हुई थी राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना
गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना 12 मई को जारी हुई थी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 मई थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने नामांकन भरने के लिए फार्म लिया, लेकिन उसे बिना किसी प्रस्तावक के नामांकन फार्म भरने नहीं दिया गया।
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