India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna Janmabhoomi Case : शुक्रवार 4 अप्रैल को मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह हिंदू पक्ष के इस दावे की जांच करेगा कि विवादित ढांचा एएसआई संरक्षित स्मारक है। हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु जैन ने कोर्ट को बताया कि विवादित ढांचा पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है, इसलिए वहां मस्जिद नहीं हो सकती। इस स्थान पर पूजा स्थल अधिनियम लागू नहीं होता।

इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने हिंदू पक्ष को नोटिस भी जारी किया है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को भी चुनौती दी है, जिसमें हिंदू पक्ष को अपने मामले में संशोधन करने और एएसआई को भी पक्षकार बनाने की अनुमति दी गई है।

इस बारे में पीठ ने क्या कहा?

इस विवाद को लेकर पीठ ने कहा है कि विवादित स्थान एएसआई संरक्षित है और इसका इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर नहीं किया जा सकता, इसलिए यह मामला हमारे पास लंबित है। हमने कहा था कि कोई अंतरिम आदेश पारित न किया जाए और फिर भी आपने यह बात हाईकोर्ट को नहीं बताई। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू पक्ष को मामले में संशोधन करने की हाईकोर्ट की अनुमति प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होती है।

आखिर क्या है विवाद?

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद की 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है। करीब 11 एकड़ जमीन पर मंदिर और 2.37 एकड़ जमीन पर मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1669-70 में करवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने श्री कृष्ण जन्मभूमि पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी।

जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि शाही ईदगाह मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी है कि ईदगाह मस्जिद संरचना का दावा करने वाली हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दायर याचिकाएं उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित हैं।

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