इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Supreme Court On Kisan Aandolan सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में राजमार्गों को बाधित करने की आपत्ति जताई। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा निर्धारित कानून को लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। गौरतलब है कि केंद्र ने पिछले साल कृषि कानून पारित किए थे और इन कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मामले में अगली सुनवाई सोमवार को फिर होगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को यूपी गेट पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर की गई नाकाबंदी खोलने की मांग वाली याचिका पर किसान संघों को पक्ष बनाने के लिए एक औपचारिक आवेदन दायर करने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को कहा था कि केंद्र और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को किसानों के विरोध के कारण राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर सड़क जाम का समाधान खोजना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि सरकार इस समस्या का समाधान क्यों नहीं ढूंढ पा रही है। किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन तय स्थानों पर और विरोध के कारण यातायात का प्रवाह बाधित नहीं किया जा सकता है।
Supreme Court On Kisan Aandolan नोएडा से दिल्ली पहुंचने में अब 20 मिनट की बजाय लगते हैं दो घंटे
पीठ ने कहा, समस्याओं का समाधान न्यायिक मंच या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है, लेकिन राजमार्गों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने नाकाबंदी को हटाने की मांग करते हुए कहा कि पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे से अधिक समय लग रहा है और दिल्ली सीमा पर यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन के कारण इलाके के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
Supreme Court On Kisan Aandolan सरकार इस मामले में क्या कर ही?
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से पूछा कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है। नटराज ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बैठक की थी और हलफनामे में इसका ब्योरा दिया गया है। इस पर पीठ ने कहा, हम कानून बना सकते हैं लेकिन कानून को कैसे लागू किया जाए यह आपका काम है। कोर्ट इसे लागू नहीं कर सकता। यह कार्यपालिका है जिसे इसे लागू करना है।
Supreme Court On Kisan Aandolan किसान प्रतिनिधियों ने चर्चा में शामिल होने से किया था इनकार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसे लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। मेहता ने कहा कि शिकायतों को दूर करने के लिए उच्चतम स्तर पर तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन जिन किसानों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, उन्होंने चर्चा में शामिल होने से इनकार कर दिया।
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