India News(इंडिया न्यूज),Triple Talaq: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ-साथ एक बार में तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने वाले 2019 कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली एक नई याचिका दायर करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आज़मगढ़ निवासी अमीर रुश्दी मदनी द्वारा दायर नई याचिका पर उन लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिन पर 2019 में केंद्र को नोटिस जारी किए गए थे।
कैसे प्रावधान पुरुषों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं- CJI
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि इस कानून के प्रावधान कैसे पुरुषों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इस पर मदनी के वकील ने कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 एक बार में तीन तलाक को अपराध बनाता है और पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान करता है।
कानून की धारा 3 और 4 विरोधाभासी
उन्होंने दावा किया कि कानून की धारा 3 और 4 विरोधाभासी हैं. धारा 3 तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित करती है और धारा 4 इस तरह से एक बार में तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान करती है। इस मुद्दे पर जमीयत उलमा-ए-हिंद और समस्त केरल जमीयत उल उलमा नामक संगठनों की याचिकाएं पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित हैं।
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