India News (इंडिया न्यूज़), Swastik: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान स्वास्तिक चिन्ह का विशेष महत्व माना जाता है इसे पूजा- पाठ बे बनाना बहुत ही शुभ होता है। मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। स्वस्तिक को प्रथम पूज्य श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सभी शुभ कार्यों की शुरुआत में स्वस्तिक बनाया जाता है। स्वस्तिक की आठ भुजाएं हैं। जिसे पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश का प्रतीक माना जाता है। साथ ही मुख्य चार भुजाएं चार वेदों, चार दिशाओं और चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) का प्रतीक मानी जाती हैं। वास्तु के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए स्वस्तिक बनाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए तो चलिए जानते हैं स्वास्तिक से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में..
स्वस्तिक के विशेष वास्तु टिप्स-
- घर या ऑफिस में पूर्व, उत्तर-पूर्व और उत्तर दिशा में स्वास्तिक बनाना चाहिए।
- घर में अष्टधातु या तांबे का स्वस्तिक स्थापित करना भी शुभ माना जाता है।
- बच्चों के अध्ययन कक्ष में दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्वास्तिक लगाया जा सकता है।
- घर में स्वास्तिक बनाने के लिए हमेशा सिन्दूर का प्रयोग करें।
- वास्तु के अनुसार स्वास्तिक के आसपास जूते-चप्पल नहीं उतारने चाहिए।
- वास्तु दोष दूर करने के लिए नौ अंगुल लंबा और चौड़ा स्वस्तिक बनाना चाहिए।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाया जा सकता है।
- मान्यता है कि तिजोरी पर सिन्दूर से स्वस्तिक बनाने से धन में वृद्धि होती है।
- कहा जाता है कि घर के आंगन के मध्य में स्वास्तिक बनाने से नकारात्मकता दूर होती है।
- यदि घर के सामने कोई पेड़ या खंभा दिखाई दे तो मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाना शुभ होता है।
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