India news(इंडिया न्यूज़), former MP Anand Mohan,दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर  सुनवाई को टाल दिया है। बता दें कि पुर्व सांसद, डीएम जी. कृष्णैया हत्या कांड़ के आरोप में लगभग 20 सालों से जेल की सजा काट रहे थे। बिहार सरकार अपने जेल संसोधन नियम में बदलाव कर आनंद मोहन समेत कई कैदियों को जेल से बाहर निकाल दिया था। जी.कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार ने जारी अपने हलफनामे में कहा है कि कथित तौर पर अपराधी से सांसद बने आनंद मोहन का सम्मान किया गया था। कहा गया है कि, आम आदमी और एक अधिकारी की हत्या की सजा एक समान है। वहीं आम आदमी को अपनी सजा काटने के बाद रिहाई का पात्र माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ लोक सेवक की हत्या के दोषी सजा से पहले रिहाई का पात्र नहीं माना जाता है।

गोपालगंज के डीएम थे जी.कृष्णैया 

जी,कृष्णैया बिहार के गोपालगंज जिले के डीएम थे। गोपालगंज जिला बिहार के वर्तमान सीएम लालू प्रसाद यादव का गृह जिला था। चुनावी काम से कृष्णैया अपने काफिले के साथ हाजीपुर जा रहे थे। रास्ते में मुज्जफरपुर में छोटन शुक्ला की मौत हो गयी थी। भगवानपुर चौक के पास लोग धरना दे रहे थे, भीड़ ने प्रसाशन समझ कर उनपर इट और पत्थल  चलाना शुरु कर दिया। जिसमें जी कृष्णैया की मौत हो गयी। आनंद मोहन, छोटन शुक्ला परिवार के सबसे खास थे। उनपर पुलिस ने आरोप लगाया की भीड़ को उसकाने के लिए आंनद मोहन ने भड़काउ भाषण दिया था। लगभग 50 किलोमीटर के टूरी से आनंद मोहन और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया।

आनंद मोहन ने बनाई थी, बिहार पिपुल्स पार्टी 

बिहार में बृजबिहारी प्रसाद को वर्तमान सीएम लालू प्रसाद का सबसे करीब लोगों में  माना जाता था। छोटन शुक्ला के मौत में व्रिजबिहारी प्रसाद का नाम आया था। बिहार 90 के दशक में जातीय राजनीति का केंद्र बन गया था पिछड़ो और अगड़ो की राजनीति यही से शुरु हुई थी। तभी आनंद मोहन और छोटन शुक्ला ने मिलकर एक नयी पार्टी बनाया , जिसका नाम बिहार पिपुल्स पार्टी रखा गया।

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