India News (इंडिया न्यूज),Waqf Bill 2024:2 और 3 अप्रैल 2025 को भारत की संसद में वक्फ के नाम पर जो भी अच्छा या बुरा होगा, उसके बीज 8 अगस्त 2024 को ही बो दिए गए थे। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सरकार बनाने के बाद बुलाए गए बजट सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आई। पहला- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024। दूसरा- मुस्लिम वक्फ (रद्दीकरण) विधेयक 2024। ये दोनों विधेयक लोकसभा में लाए गए। सरकार ने कहा कि इसके जरिए वक्फ की संपत्तियों का बेहतर तरीके से प्रबंधन हो सकेगा। साथ ही वक्फ बोर्ड के कामकाज को और प्रभावी बनाया जा सकेगा।

इन सवालों पर आने से पहले, नए वक्फ कानून को लेकर सरकार के क्या दावे हैं और विपक्ष या मुस्लिम समुदाय के एक बड़े तबके की क्या चिंताएं हैं। आइए बहुत जल्दी जान लेते हैं कि वक्फ क्या है, यह कहां से आया और इसकी कुल संपत्ति कितनी है।

वक्फ संपत्ति का इस्तेमाल किस लिए किया जाता है?

वक्फ वह संपत्ति है जो धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए आरक्षित होती है। इस्लामी कानूनों में इस संपत्ति का उपयोग धार्मिक गतिविधियों के अलावा दान या किसी अन्य उद्देश्य के लिए करना वर्जित है। किसी संपत्ति को वक्फ कहने का मतलब है कि अब वह किसी व्यक्ति विशेष की नहीं है। अब वह अल्लाह की है। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाती है, तो उस पर दोबारा मालिकाना हक हासिल नहीं किया जा सकता।

सल्तनत के दौर से जुड़ा है इतिहास

भारत में वक्फ का इतिहास दिल्ली सल्तनत के दौर से जुड़ा है। तत्कालीन सुल्तान मुहम्मद गौरी ने मुल्तान की जामा मस्जिद को दो गांव दिए थे। साथ ही, इसके रखरखाव की जिम्मेदारी इस्लामी दुनिया के प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान शेख-उल-इस्लाम को सौंपी गई थी। दिल्ली सल्तनत और उसके बाद भारत में इस्लामी राजवंशों के विस्तार के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों में भी बढ़ोतरी होती रही।

देश में तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति

आज की तारीख में वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे और भारतीय सेना के बाद देश में तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति है। वक्फ बोर्ड आज देशभर में करीब 8 लाख 70 हजार संपत्तियों को नियंत्रित करता है। ये संपत्तियां करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ जमीन पर फैली हुई हैं। जिनकी अनुमानित कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है। दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति भारत में है।

सरकार के तर्क

  • वक्फ संशोधन विधेयक 2024, जिसे सरकार आज लोकसभा में पारित कराने की कोशिश करेगी, वक्फ अधिनियम 1995 में कुछ बड़े बदलाव करेगी। इससे भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़े मौजूदा स्वरूप में बदलाव आएगा। सरकार जहां इसे सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष और कई मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बता रहे हैं।
  • नए संशोधन के बाद वक्फ की परिभाषा, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाएगी। साथ ही वक्फ के रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीक की भूमिका बढ़ाने का दावा किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ बोर्ड के कामकाज में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
  • वहीं, मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 का असली मकसद साल 1923 के मुस्लिम वक्फ अधिनियम को निरस्त करना है। इसे औपनिवेशिक काल का विधेयक बताते हुए सरकार इसे न केवल पुराना बल्कि आधुनिक भारत में वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अपर्याप्त भी बता रही है।
  • हालांकि, चूंकि मोदी सरकार के पास अब पहले की तरह संसद में बहुमत नहीं है, इसलिए उसे अपने गठबंधन सहयोगियों से सलाह-मशविरा करके इस पर आगे बढ़ना पड़ा है। विपक्ष और गठबंधन सहयोगियों की कुछ आपत्तियों के बाद सरकार ने इसे जेपीसी- संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया था। जहां कुछ बदलावों के बाद अब इस विधेयक को नए सिरे से संसद में लाया जा रहा है।

विपक्ष के तर्क

  • विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन नए कानून को असंवैधानिक और राजनीतिक मकसद से लाया गया बता रहे हैं। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड समेत मुस्लिम संगठनों को वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिमों की मौजूदगी सुनिश्चित करने पर आपत्ति है। मुस्लिम सदस्यों में दो महिला सदस्यों का होना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
  • असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि वक्फ संपत्ति निजी होती है, जबकि इस कानून के बाद सरकार उसे सरकारी संपत्ति के तौर पर देख सकती है। उनका दावा है कि बिना डीड के वक्फ संपत्तियों की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। और अगर रजिस्ट्री नहीं हुई तो सरकार उन संपत्तियों पर कब्जा कर लेगी।
  • सांसद इमरान मसूद का कहना है कि क्लॉज 2ए और 3 (सात)ई खतरनाक है, क्योंकि इस क्लॉज में कहा गया है कि जिस संपत्ति पर कोई विवाद नहीं है और वह सरकारी संपत्ति नहीं है, वह वक्फ ही रहेगी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ के नाम पर दर्ज 11,500 हेक्टेयर जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया है। नए कानून के मुताबिक अब यह सरकारी संपत्ति के तौर पर दर्ज होगी। इस पर इमरान मसूद ने आपत्ति जताई है।
  • डीएम के अधिकार पर भी विवाद है। नए संशोधन के बाद ऐसी संपत्ति या जमीन जिस पर सरकार और वक्फ बोर्ड दोनों का दावा है, उस पर फैसला डीएम के विवेक पर निर्भर करेगा। अगर डीएम के पास कोई संपत्ति है तो वह जमीन डीएम के विवेक पर निर्भर करेगी।

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