India News (इंडिया न्यूज़), Manipur Viral Video: संसद में कल शुक्रवार को मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए दुर्रव्यवहार पर चर्चा करने की बात पर पक्ष और विपक्ष में जोरदार हंगामा किया गया। एक तरफ जहॅा मणिपुर में 83 दिनों से हिंसा खत्म होने का नाम नही ले रहा है, वहीं दूसरी तरफ दो महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना ने देश को शर्मशार कर दिया है। मणिपुर के वायलस वीडियो के मुताबिक देश को शर्मशार कर देने वाला मामला सामने आया जिसमेंं दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया गया था।

संसद में विपक्ष ने किया हंगामा

इस वीडियो के सामने आने के बाद देशभर में गुस्सा सर पर चढ़ा है। संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। मणिपुर को लेकर दो दिनों से संसद में कोई काम नहीं हुआ। लोकसभा की कार्यवाही कुल 19 मिनट चली तो राज्यसभा की भी बार-बार कार्यवाही स्थगित होती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा की और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है।

किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा: पीएम मोदी

मणिपुर मामले को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘मेरा हृदय पीड़ा से भरा है, क्रोध से भरा है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले, कितने हैं-कौन हैं, यह अपनी जगह है, लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करता हूं कि वे माताओं-बहनों की रक्षा करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाएं।

अपने राज्यों में कानून व्यवस्था को और मजबूत करें। घटना चाहे राजस्थान की हो, छत्तीसगढ़ की हो या मणिपुर की हो, हम राजनीतिक विवाद से ऊपर उठकर कानून व्यवस्था और नारी के सम्मान का ध्यान रखें। किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।’

चीफ जस्टिस ने क्या कहा?

इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कहते हैं कि, ‘हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे नहीं तो हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। हमारा विचार है कि अदालत को सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि अपराधियों पर हिंसा के लिए मामला दर्ज किया जा सके।

मीडिया में जो दिखाया गया है और जो दृश्य सामने आए हैं, वे घोर संवैधानिक उल्लंघन को दर्शाते हैं और महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करके मानव जीवन का उल्लंघन करना संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है।’

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