India News (इंडिया न्यूज), Murshidabad Violence : वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ऐसी हिंसा भड़की कि सैकड़ों परिवारों की जिंदगी तबाह हो गई। मुर्शिदाबाद में शुक्रवार और शनिवार को विरोध के नाम पर एक समुदाय ने जमकर हिंसा, आगजनी और लूटपाट की। ममता सरकार की पुलिस भी हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कुछ नहीं कर पाई। हालात ऐसे हो गए कि लोगों को अपनी जान बचाने के लिए गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाना पड़ा। इनमें से ज्यादातर हिंदू परिवार थे।

आपको बता दें कि इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इसमें पुलिस के जवान भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शमशेरगंज और धुलियान जैसे हिंसा प्रभावित इलाकों से भागकर आए करीब 500 परिवारों ने मालदा जिले के वैष्णवनगर परलाल हाई स्कूल में शरण ली है। उनकी आंखों में अभी भी डर और असुरक्षा की झलक देखी जा सकती है।

‘बम, बंदूक और चाकू लेकर आए थे दंगाई’

हिंसा से प्रभावित लोगों का कहना है कि हिंसा के दौरान हथियारबंद दंगाइयों ने महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ की। खबरों के मुताबिक एक महिला ने बताया कि वे बम, बंदूक और चाकू लेकर आए थे। उन्होंने घरों को लूटा, गैस सिलेंडर में आग लगा दी। कुछ लोगों ने बताया कि महिलाओं को धमकाया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया तथा घरों में रखे आभूषण, फर्नीचर और यहां तक ​​कि मवेशियों को भी नहीं बख्शा गया।

इसके अलावा पीड़ितों ने यह भी बताया कि हमारे पास जो कुछ भी था, उसे जला दिया गया। उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर घरों में आग लगा दी। उन्होंने पानी की टंकी में जहर मिला दिया। बच्चों ने सुबह से कुछ नहीं खाया है। हमें पीने के लिए पानी भी नहीं मिल रहा है। हम अपनी जान बचाने के लिए नाव से भागे हैं। अगर बीएसएफ और पुलिस वहां नहीं होती तो शायद हम जिंदा नहीं होते।

केंद्रीय बलों ने मोर्चा संभाला

मुर्शिदाबाद के हालात को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने इलाके में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था। इसके बाद मुर्शिदाबाद में अब तक केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात की जा चुकी हैं। अफवाहों के चलते मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं।

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