India News (इंडिया न्यूज), Jaishankar On China: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (14 मई) को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बलों की तैनाती को असामान्य बताया और कहा कि देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। कोलकाता में एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि साल 1962 के बाद राजीव गांधी 1988 में कई मायनों में चीन गए, जो संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। वहाँ एक स्पष्ट समझ थी कि हम अपने सीमा मतभेदों पर चर्चा करेंगे लेकिन हम शांति और शांति बनाए रखेंगे सीमा और बाकी रिश्ते जारी रहेंगे।

साल 2020 में हुआ बड़ा बदलाव

एस जयशंकर ने कहा कि अब जो बदल गया है वह 2020 में हुआ है। साल 2020 में चीन कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए, हमारी सीमा पर बड़ी संख्या में सेना लाए और उन्होंने ऐसा उस समय किया जब हम सीओवीआईडी ​​लॉकडाउन के तहत थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने जवाबी कार्रवाई में बल की तैनाती की और अब चार बार बलों को गलवान में सामान्य आधार स्थानों से आगे तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर यह बहुत ही असामान्य तैनाती है। दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए भारतीय नागरिक के रूप में हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। यह आज एक चुनौती है।

London Bus Stop: भारी भीड़ कर रही है बस में चढ़ने की कोशिश, लंदन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल -India News

गलवान में हुई झड़प के बाद से रिश्ते तनावपूर्ण

विदेश मंत्री ने कहा कि एक आर्थिक चुनौती भी है, जो पिछले वर्षों में विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की उपेक्षा के कारण है। दरअसल जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। पिछले हफ्ते जयशंकर ने कहा था कि नई दिल्ली को बीजिंग के साथ बाकी मुद्दों के समाधान की उम्मीद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों की वापसी सीमा पर शांति पर निर्भर करती है। उन्होंने आगे कहा कि हम उम्मीद करेंगे कि वहां बचे हुए मुद्दों का समाधान हो जाएगा। ये मुद्दे मुख्य रूप से वहां गश्त के अधिकार और गश्त क्षमताओं से संबंधित हैं।

CUET UG 2024: दिल्ली में 15 मई को नहीं होगी CUET UG परीक्षा, जानिए अब कब होगा एग्जाम? -India News