India News (इंडिया न्यूज), Nikita Sareen | UP Vidhan Parishad: विधान परिषद की 13 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन के बाद गणित बदल गई है। गुरुवार को विधानपरिषद के लिए एनडीए के 10 और सपा के 3 प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया। निर्वाचित प्रत्याशियों में भाजपा के सात, सपा के तीन, सुभासपा, अपना दल एस और रालोद का एक-एक उम्मीदवार हैं।
- सपा के अब 10 एमएलसी, भाजपा की संख्या 79 हुई
- एमएलसी की खाली 13 सीटों पर निर्विरोध जीते प्रत्याशी
- 10 एनडीए के और तीन सपा प्रत्याशी विजयी
निर्वाचित प्रत्याशियों में भाजपा के विजय बहादुर पाठक, डॉ महेंद्र सिंह, अशोक कटारिया, संतोष सिंह, धर्मेंद्र सिंह, राम तीरथ सिंघल, मोहित बेनीवाल, सुभासपा के विच्छे लाल राजभर, अपना दल एस के आशीष सिंह पटेल, रालोद के योगेश चौधरी और सपा के किरण पाल कश्यप, बलराम यादव और गुड्डू जमाली हैं।विधान परिषद सदस्य के रूप में इन सभी का कार्यकाल 31 जनवरी 2024 से अगले छह साल के लिए होगा।
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भाजपा की सदस्य संख्या भी हुई कम
कुछ दलों को झटका लगा है, वहीं, कुछ की उम्मीदें मजबूत हुइ्र हैं। सहयोगी के साथ सीटें साझा करने के चलते भाजपा की अपनी सदस्य संख्या कम हो गई है। वहीं, सपा ने सदन में 1/10 सदस्य का आंकड़ा छू लिया है। ऐसे में उसे नेता प्रतिपक्ष का ओहदा फिर मिल सकेगा। वहीं, बसपा विधान परिषद में शून्य हो गई है।
विधान परिषद में भाजपा के पहले 82 सदस्य थे। इसमें 10 का कार्यकाल पूरा हो गया। 1 सीट उसके सहयोगी अपना दल की खाली हुई थी। संख्या बल के हिसाब से भाजपा के 10 सदस्य चुने जा सकते थे, लेकिन उसने एक-एक सीटें अपना दल, सुभासपा व रालोद को दे दी। इसलिए, उसके 7 सदस्य चुनकर ही पहुंचे और सदस्य संख्या 79 हो गई है। बसपा के पास विधानसभा में महज 1 सीट थी, इसलिए, परिषद में खाली हुई सीट पर निर्वाचन तो दूर नामांकन संभव नहीं था। इसलिए, उच्च सदन से वह साफ हो गई है। इससे पहले जुलाई, 2022 में कांग्रेस परिषद में शून्य हो चुकी है।
20 महीने बाद दोनों सदनों में होगा नेता प्रतिपक्ष
सदन में किसी भी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा हासिल करने के लिए उसके पास कुल सदस्य संख्या का 1/10 सदस्य होना चाहिए। जुलाई 2022 में सपा की सदस्य संख्या घटकर 9 हो गई थी। इसके बाद सभापति ने सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म कर दी थी। उस समय लाल बिहारी यादव नेता प्रतिपक्ष थे। हाल में जो 13 सीटें खाली हुईं, उसमें सपा की भी एक सीट थी।
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वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया था। इसलिए, सपा की सीटें घटकर 7 रह गई थीं। 3 सदस्यों के निर्विरोध निर्वाचन के बाद अब सपा के 10 सदस्य हो गए हैं। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना है ‘नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के लिए आवश्यक सदस्य संख्या का मानक पार्टी ने पूरा कर लिया है। जल्द ही इसके लिए सभापति के समक्ष आवेदन किया जाएगा।’ करीब 20 महीने बाद अब दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष होगा।
परिषद की गणित
भाजपा : 79
सपा : 10
निर्दल : 04
अपना दल (एस) : 01
निषाद पार्टी : 01
सुभासपा : 01
रालोद : 01
जनसत्ता दल : 01
शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) : 01
रिक्त : 01
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