Vijayadashami
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

आज पूरे देश में विजयदशमी का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। बुराई पर अच्छाई के जीत का पर्व आश्विन महीने की दशमी तिथि और श्रवण नक्षत्र के संयोग में है। विजयदशर्म का पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद के प्रारंभ होने की सूचना भी देता है। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है।
वहीं, शारदीय नवरात्रि के पूरे होने पर दशहरे पर दुर्गा प्रतिमाओं के साथ जवारे विसर्जन का विधान है। द्वापर युग में अर्जुन ने जीत के लिए इसी दिन शमी वृक्ष की पूजा की थी। इस पर्व पर विक्रमादित्य ने शस्त्र पूजन किया था। इसी कारण दशहरे पर शमी पूजा और शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है।

Vijayadashami पर हर नया काम और निवेश करना फायदेमंद

दशहरे पर हर तरह की खरीदारी, नए कामों की शुरूआत, महत्वपूर्ण लेन-देन और निवेश करना फायदेमंद होता है। गुड़ी पड़वा और अक्षय तृतीया को भी अबूझ मुहूर्त माना गया है। श्रवण नक्षत्र और अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की 10वीं तिथि के संयोग को स्वयंसिद्धि मुहूर्त कहा जाता है। इसलिए आज के किसी भी नए काम को किया जाएं तो उसमें सफलता मिलती है।

विजय मुहूर्त दोपहर 2:11 बजे से 2:58 तक

अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी पर विजय मुहूर्त का बहुत महत्व है। ये 15 अक्टूबर को दोपहर 2:11 बजे से 2:58 तक रहेगा। विजयदशमी के दिन हर क्षण शुभ है। आज देव शयन होता है। इस मुहूर्त में शादी-बंधन को छोड़कर सभी तरह के शुभ कार्य हो सकते हैं। इसलिए भवन वास्तु, व्यापार शुभारंभ, यात्रा, शस्त्र-पूजा, कार्यालय शुभारंभ, संपत्ति खरीदारी-बिक्री के लिए दिन में कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है।

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