News (इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill 2025: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के जरिए मुसलमानों को डराने के विपक्षी सांसदों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसके उलट विपक्ष वोट बैंक के लिए भ्रम फैलाकर अल्पसंख्यकों को डरा रहा है। सदन में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चल रही चर्चा में अमित शाह ने कहा, आज दोपहर 12 बजे से चल रही चर्चा को मैंने ध्यान से सुना है। मुझे लगता है कि या तो मासूमियत से या राजनीतिक कारणों से कई सदस्यों के मन में बहुत सी भ्रांतियां हैं और सदन में और आपके माध्यम से पूरे देश में बहुत सी भ्रांतियां फैलाने की कोशिश भी की गई है। यहां विपक्षी सदस्यों द्वारा कुछ बातें रखी गई हैं, जिन पर स्पष्टीकरण की जरूरत है।

अमित शाह ने वक्फ का मतलब समझाया

उन्होंने कहा कि ‘वक्फ’ एक अरबी शब्द है, जिसका इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ है। इसका मतलब आजकल धर्मार्थ बंदोबस्ती के रूप में लिया जाता है। वक्फ का मतलब है, ‘अल्लाह के नाम पर पवित्र संपत्ति दान करना’। इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल खलीफा उमर के समय में हुआ था और अगर आज के समय में इसे समझें तो यह किसी संपत्ति का दान है जो किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक या सामाजिक कल्याण के लिए बिना वापस लेने के इरादे से दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘वक्फ’ कहा जाता है।

वक्फ कब अस्तित्व में आया?

शाह ने कहा कि दान बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन दान केवल उसी चीज का किया जा सकता है जो हमारी अपनी हो। कोई भी सरकारी संपत्ति दान नहीं कर सकता और न ही किसी और की संपत्ति दान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वक्फ देश में दिल्ली सल्तनत काल की शुरुआत में अस्तित्व में आया और ब्रिटिश काल में इसे धार्मिक दान अधिनियम के तहत चलाया गया। बाद में 1890 में इसकी प्रक्रिया धर्मार्थ संपत्ति अधिनियम के तहत चलाई गई, फिर 1913 में मुस्लिम वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट अस्तित्व में आया। इसके बाद 1954 में इसे केंद्रीकरण के लिए बदल दिया गया और 1995 में वक्फ ट्रिब्यूनल और वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 से अस्तित्व में आए हैं।

‘वक्फ में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश नहीं होगा’

अमित शाह ने कहा कि यह पूरा विवाद वक्फ में गैर-मुस्लिमों के प्रवेश को लेकर है। उन्होंने कहा कि पहले यह प्रावधान था कि वक्फ में कोई गैर-इस्लामिक सदस्य नहीं हो सकता। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोई भी चीज गैर-इस्लामिक नहीं हो सकती और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन में गैर-मुस्लिम सदस्य रखने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है और न ही हम ऐसा कोई प्रावधान करना चाहते हैं।

विपक्षी दलों के इस आरोप पर कि मुसलमानों की संपत्ति या उनके समानता के अधिकार को नुकसान पहुंचाया जाएगा, गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड और परिषद का गठन 1995 से हुआ है और यह प्रक्रिया केवल संपत्ति के प्रशासन और नियमन से संबंधित है, न कि किसी धर्म की मान्यताओं में हस्तक्षेप करने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह भ्रांति फैलाकर अल्पसंख्यकों को डराया जा रहा है, ताकि उनका वोट बैंक बनाया जा सके।

अमित शाह ने बताया कि वक्फ बोर्ड का काम क्या होगा?

अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड का काम धार्मिक गतिविधियां संचालित करना नहीं है। उनका काम सिर्फ यह देखना है कि दान में दी गई संपत्ति का प्रबंधन सही तरीके से हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि दान किसके लिए दिया गया है, चाहे वह इस्लाम धर्म के लिए हो या गरीबों के उत्थान के लिए, उसका सही तरीके से उपयोग हो रहा है या नहीं, यह देखना हमारा काम है। वक्फ बोर्ड का गठन ट्रस्ट एक्ट के तहत किया गया है, जहां ट्रस्टी वे लोग हैं जो इस बोर्ड का कामकाज देखेंगे। वे किसी भी धर्म के हो सकते हैं, क्योंकि उनका काम धर्म का पालन करना नहीं है, बल्कि कानून के मुताबिक ट्रस्ट को चलाना है।

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अमित शाह ने इस संदर्भ में कहा कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य धार्मिक कार्य नहीं है, यह प्रशासनिक कार्य है। उन्होंने कहा कि चूंकि वक्फ की उत्पत्ति इस्लाम के सिद्धांतों से हुई है, इसलिए इस बोर्ड को इस्लाम के अनुयायी ही चलाते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि बोर्ड धार्मिक नहीं है और इसमें ट्रस्टी किसी भी धर्म के हो सकते हैं। वक्फ का उद्देश्य धार्मिक नहीं बल्कि प्रशासनिक है।

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