India News (इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill 2025 : सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा दोनों सदनों से पारित करवा लिया है। लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी इस विधेयक पर 13 घंटे चर्चा हुई। गुरुवार दोपहर सरकार की ओर से वक्फ विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया। विपक्ष से चर्चा के बीच शुक्रवार सुबह करीब 2 बजे विधेयक को पारित कर दिया गया। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।
मोदी सरकार के लिए दोनों सदनों में विधेयक को पारित करवाना आसान नहीं था। खासकर राज्यसभा में, फिर भी एनडीए को अपने पास मौजूद संख्या से ज्यादा वोट मिले। राज्यसभा में एनडीए और भारत गठबंधन के बीच संख्या बल के लिहाज से मुकाबला कड़ा था, लेकिन क्रॉस वोटिंग के चलते विधेयक पारित हो गया।
वक्फ विधेयक के पक्ष में 128 वोट
चौंकाने वाली बात यह है कि राज्यसभा में एनडीए के पास मौजूद संख्या से ज्यादा वोट वक्फ विधेयक के पक्ष में पड़े हैं। यहां पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े, जो सीधे तौर पर क्रॉस वोटिंग की ओर इशारा कर रहा है। इससे यह साफ होता है कि कुछ गैर एनडीए पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर वोट किया। क्रॉस वोटिंग कितनी हुई, इसका कोई सटीक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन एक अनुमान लगाया जा सकता है।
अगर राज्यसभा में संख्या की बात करें तो वहां प्रभावी संख्या 236 है। वहीं, बिल को बहुमत के लिए 119 वोट चाहिए थे। एनडीए के पास 125 का स्ट्रेंथ था। इसमें बीजेपी के 98, जेडी(यू) के 4, एनसीपी (अजीत पवार) के 3, टीडीपी और अन्य सहयोगी दलों के 2 शामिल थे। इसके अलावा 6 मनोनीत सांसदों का समर्थन भी एनडीए के पास था।
किस पार्टी ने क्रॉस वोटिंग की?
अगर राज्यसभा में विपक्ष को देखें तो इंडिया ब्लॉक के पास राज्यसभा में 95 वोट थे, लेकिन बीजेडी (7) और वाईएसआरसीपी (9) जैसे गैर एनडीए पार्टियों के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेडी के कम से कम 4-5 सांसदों और वाईएसआरसीपी के 3-4 सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट किया। इससे पता चलता है कि एनडीए को क्रॉस वोटिंग के जरिए करीब 7 से 9 वोट मिले।
इसके अलावा, यह पता लगाना मुश्किल है कि किन सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की। लेकिन माना जा रहा है कि नवीन पटनायक की बीजेडी और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी ने बिल के पक्ष में माहौल बनाया। इसकी वजह यह है कि बीजेडी ने अपने सांसदों को खुद फैसला लेने दिया था। अगर क्रॉस वोटिंग नहीं होती तो मोदी सरकार की राह थोड़ी मुश्किल हो जाती।