India News (इंडिया न्यूज),Waqf Law: एकनाथ शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने वक्फ बोर्ड की जमीन पर शिवसेना (यूबीटी) के रुख समेत कई मुद्दों पर जबरदस्त हमला बोला है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं का यह कहना कि वक्फ बोर्ड का किसी धर्म या जाति से कोई लेना-देना नहीं है, ये जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। यह मुद्दा सिर्फ रियल एस्टेट या जमीन का नहीं है, बल्कि देश की जमीन और जनता की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है।
शिवसेना प्रवक्ता ने आगे कहा, “यूबीटी नेताओं की संपत्ति और जमीन में गहरी दिलचस्पी जगजाहिर है। इसीलिए वे वक्फ मुद्दे को महज संपत्ति विवाद बताकर सच्चाई से भाग रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यूबीटी वाकई वक्फ बोर्ड की जमीनों में दिलचस्पी ले रही है?”
यूपी के इन शहरों में बड़ा अभियान, CM योगी के ‘सिंघमों’ ने उतरवाए लाउडस्पीकर, वजह जान भड़क उठेंगे कट्टरपंथी मौलाना!
वक्फ की जमीनें किसी खाड़ी देश से नहीं आई- संजय निरुपम
उन्होंने आगे कहा, “आज वक्फ की जमीनें किसी खाड़ी देश से नहीं आई हैं। ये भारतीय जमीनें हैं और जब इनका दुरुपयोग होता है तो सरकार का कर्तव्य है कि वह इस पर नजर रखे और जरूरी कदम उठाए, लेकिन अगर यूबीटी इस पर चुप रहती है तो यह आम जनता के साथ विश्वासघात है।”
वक्फ बिल पर यूबीटी की भूमिका उजागर हो गई है- निरुपम
शिंदे गुट के नेता निरुपम ने कहा, “वक्फ बोर्ड से जुड़े संशोधन बिल पर संसद में इनकी की भूमिका पूरी तरह से बेनकाब हो गई है। मुस्लिम संगठनों के दबाव में संशोधन का विरोध करना और अब पीछे हटना साफ तौर पर दिखाता है कि यूबीटी की नीति और नीयत में फर्क है।”
यूबीटी ने अपने ही आदर्शों की बलि दी- निरुपम
संजय निरुपम ने हमला करते हुए कहा, ”अगर शिवसेना (यूबीटी) मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के लिए बाला साहब ठाकरे के सिद्धांतों की बलि दे रही है, तो यह विश्वासघात उन्हें बहुत महंगा पड़ेगा। यूबीटी जिसका पूरा नाम यू मतलब यूज, बी- (बाप), टी मतलब थ्रो है, इस तरह समझा जा सकता है। इस पार्टी ने आज अपने ही आदर्शों की बलि दे दी है।
खुलताबाद का नाम बदलने पर क्या कहा?
शिंदे गुट के नेता ने कहा, ”मंत्री संजय सिरसट ने पहले ही खुलताबाद का नाम बदलकर रक्तपुरी करने का मुद्दा उठाया था, लेकिन अब जब जनता का दबाव बढ़ा है, तो यूबीटी ‘चलती ट्रेन’ में सवार होकर इसका समर्थन कर रही है। सवाल यह है कि 22 महीने के कार्यकाल के दौरान वे कहां थे?”
महंगाई के मुद्दे पर क्या बोले संजय निरुपम?
महंगाई के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय निरुपम ने कहा, ”महंगाई आज एक गंभीर मुद्दा बन गई है। डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी से आम आदमी पर बोझ पड़ रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि तेल विपणन कंपनियों पर 41,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसका कुछ बोझ जनता पर भी आया है, लेकिन सुधार की जिम्मेदारी भी सरकार की है।
कुणाल कामरा विवाद पर क्या बोले संजय निरुपम?
शिवसेना नेता ने विवादित कॉमेडियन कुणाल कामरा पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “कुणाल कामरा जैसे लोगों पर भी सवाल उठते हैं। अगर वह किसी नेता पर टिप्पणी करते हैं तो उन्हें इसके कानूनी परिणामों के लिए तैयार रहना होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर चरित्र हनन स्वीकार्य नहीं है।” ‘मराठी भाषा का सम्मान करना सभी का कर्तव्य है’
संजय निरुपम ने कहा, “महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों से मराठी बोलने का एमएनएस का अनुरोध कोई नई बात नहीं है। महाराष्ट्र की मिट्टी से जुड़े होने के नाते मराठी भाषा का सम्मान करना सभी का कर्तव्य है, चाहे वह औपचारिक स्थिति हो या अनौपचारिक लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो लोग हाल ही में शहर में आए हैं या जो मराठी बोलना नहीं जानते हैं, उन पर दबाव डाला जाए या उनकी पिटाई की जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी भाषा को सिखाने का तरीका प्यार और संवाद से है, हिंसा और धमकियों से नहीं। हाल ही में कुछ बैंकों में कर्मचारियों पर हमले की घटनाएं निंदनीय हैं।