India News (इंडिया न्यूज), Pahalgam Terror Attack : पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक प्रहार करते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। अब इसी कड़ी में शनिवार (26 अप्रैल 2025) को पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद के हट्टिन बाला इलाके में झेलम नदी में पानी छोड़ दिया गया। इसके बाद वही हुआ जिसकी आशंका थी। झेलम नदी में पानी छोड़े जाने से मुजफ्फराबाद में अचानक भीषण बाढ़ आ गई। इसके बाद मुजफ्फराबाद प्रशासन ने वहां जल आपातकाल घोषित कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उरी के चकोठी में अनंतनाग जिले से पानी घुसने के कारण झेलम नदी में अचानक भीषण बाढ़ आ गई, जिससे स्थानीय लोगों में भय और दहशत फैल गई है। सरकार फिलहाल उन तीन नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग करने के तरीकों का अध्ययन करने की योजना बना रही है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान सिंधु जल संधि के तहत कर रहा था।
भारत के पास अभी नियंत्रण तंत्र नहीं
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स रिवर्स एंड पीपल (एसएएनडीआरपी) के हिमांशु ठक्कर ने कहा कि असली समस्या पश्चिमी नदियों से जुड़ी है, जहां बुनियादी ढांचे की सीमाएं हमें पानी के प्रवाह को तुरंत रोकने से रोकती हैं। चेनाब घाटी में हमारे पास कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिन्हें पूरा होने में पांच से सात साल लगेंगे। तब तक, प्राकृतिक कारणों से पानी पाकिस्तान की ओर बहता रहेगा। इनके चालू होने के बाद, भारत के पास नियंत्रण तंत्र होगा, जो वर्तमान में मौजूद नहीं है।
मोदी सरकार का पाकिस्तान पर एक्शन
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, मोदी सरकार की पाकिस्तान पर कार्रवाई जारी है। शुक्रवार को जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की रणनीति पर काम कर रही है कि पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान न जाए। मंत्री ने आगे कहा कि इस बारे में लगातार बैठकें भी हो रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अपने फैसलों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है। विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली जल संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों- सतलुज, ब्यास और रावी के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे, जिनका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) था। पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था, जिसका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 135 एमएएफ था।