India News (इंडिया न्यूज़), Water Scam: फिलहाल राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 का दौर चल रहा है। आने वाले 25 नवंबर को वोटिंग भी होने वाली है। इलेक्शन के बीच यहां 20 हजार करोड़ रुपये के वॉटर स्कैम की आग बढ़ती जा रहा है। इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रडार पर आईएएस ऑफिसर से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी हैं। इसी कड़ी में बीते तीन नवंबर को राजस्थान में कई स्थानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हुई है। रेड जयपुर और दौसा में 23 जगहों पर मारी गई। इसकी लपटे आईएएस रैंक के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल के ठिकानों तक भी पहुंची। बता दें कि सुबोध अग्रवाल पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एसीएस के पद पर हैं।
ये स्कैम केंद्र की जल जीवन मिशन परियोजना से संबंधित है। आरोपों पर नजर डालें तो केंद्र की परियोजना को राजस्थान में लागू करने के दौरान गड़बड़ियां पाई गई हैं। साथ ही कई हजार करोड़ रुपये घोटाले की भेंट चढ़ गई है। अगर और पीछे चलें तो अगस्त में ही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले की कमान संभालते हुए जांच की शुरुआत की थी। बाद में यह मामला ईडी के पाले में चला गया है। जो कि अब तक 25 जगहों को खंगाल चुकी है।
20 हजार करोड़ रुपये का वाटर स्कैम
चलिए थोड़ी जानकारी इस परियोजना के बारे में भी ले लेते हैं। जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रह रही आबादी तक शुद्ध और पर्याप्त जल पहुंचाया जाता। ताकि उन्हें पानी की समस्या से निजात मिल सके। इस परियोजना के कुल बजट का आधा हिस्सा केंद्र सरकार और आधा राज्य सरकार को दी जाती है। इस परियोजना में सबसे पहले राजस्थान के पांच बार के विधायक और दो बार के लोकसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने गड़बड़ी की आशंका जताई थी। उनका आरोप था कि परियोजना लागू करने में 20 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।
किरोड़ी लाल मीणा का आरोप
मीणा के आरोपों के अनुसार,
- परियोजना के आड़ में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर दो फर्म को 48 प्रोजेक्ट दिए गए।
- दो साल में 900 करोड़ के ऑर्डर दिए गए।
- घोटाले को छुपाने के लिए फर्जी ईमेल आईडी और प्रमाण पत्र का खेल खेला गया।
- आरोपों के मुताबिक घोटाले की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हुई।
- पूरे मामले में मोटा-मोटा 20 हजार करोड़ रुपये को चपत कर लिया गया है।
- गणपति ट्यूबवेल कंपनी और श्री श्याम शाहपुर ट्यूबवेल कंपनी का भी इस स्कैम में नाम आया।
- श्री श्याम पर नियमों को तोड़कर ठेका देने के आरोप हैं।
- साथ ही सरकारी कर्मचारियों को घूस देकर टेंडर और गैरकानूनी तरीके से सुरक्षा प्राप्त करने का आरोप श्याम पर हैं।
- आरोप के मुताबिक दोनों कंपनियों ने करीब 1000 करोड़ रुपये खा लिए हैं।
ईडी को जांच में क्या मिला
- ईडी को 2.32 करोड़ रुपये की नकदी,
- 64 लाख का सोना
- कई दस्तावेज
- हार्ड डिस्क और मोबाइल फोन
- जांच में अब तक 5.83 करोड़ का 9.6 किलोग्राम सोना
- 3.9 लाख की कीमत की 6.4 किलोग्राम चांदी बरामद हुआ है।
जांच की आग कहां तक–
ईडी की रडार पर इस वक्त कई सीनियर अधिकारी हैं। जिनमें पीएचईडी और ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के एसीएस सुबोध अग्रवाल का भी नाम है। उनके अलावा और कई अधिकारी भी ईडी के शिकंजे में हैं। बता दें कि ईडी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत तहकीकात कर रही है।
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