India News (इंडिया न्यूज), West Bengal News: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने ओबीसी कार्ड खेला है। राज्य कैबिनेट ने बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इसमें 76 नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है। इन 76 नई जातियों को राज्य के मौजूदा 64 जातीय समूहों की ओबीसी सूची में जोड़ा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े समुदायों को अधिक अवसर प्रदान करना है, ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

फरक्का बना नया सब-डिवीजन

कैबिनेट ने मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का को नया सब-डिवीजन बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। यह नया सब-डिवीजन फरक्का, शमशेरगंज, सुती-1 और सुती-2 ब्लॉक को मिलाकर बनाया जाएगा। पहले ये चारों ब्लॉक जंगीपुर सब-डिवीजन का हिस्सा थे। एक अधिकारी ने बताया कि बढ़ती आबादी के कारण जंगीपुर उपमंडल प्रशासन को इस विशाल क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यों को अंजाम देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए यह निर्णय लिया गया। इस नए उपमंडल के लिए विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर 109 संविदा आधारित पदों के सृजन को भी मंजूरी दी गई है।

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ममता बनर्जी ने लिया फैसला

दरअसल, ममता बनर्जी के इस फैसले को पिछड़े समुदायों, खासकर मुस्लिम और दलित समुदायों को अपने पाले में करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। ओबीसी सूची में शामिल 76 जातियों में कई मुस्लिम जातियां भी हो सकती हैं। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी करीब 27-30 फीसदी है और यह समुदाय टीएमसी का पारंपरिक वोट बैंक रहा है। नई जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने से इन समुदायों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। इससे इन समुदायों का टीएमसी के प्रति समर्थन मजबूत होने की संभावना है। खासकर 2026 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर।

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