India News (इंडिया न्यूज़), Political Parties: राजनीतिक पार्टियां अक्सर एक बार में ही सभी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं करती हैं क्योंकि यहां एक राजनीतिक रणनीति का खेल चलता है। इसका मतलब है कि पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन विभिन्न समयों और राजनीतिक गणित के आधार पर करती है। यह रणनीति बाज़ार में शक्ति और राजनितिक मान्यताओं को जोड़ने और विपक्षी पार्टियों के साथ क्षमता का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक पार्टी अपनी राजनीतिक रणनीति के अनुसार अपने उम्मीदवारों की घोषणा करती है।

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  • क्यों नहीं जारी होते एक बार में उम्मीदवारों की लिस्ट?
  • किन दस्तावेज़ों की होती है ज़रूरत
  • ज़मानत ज़ब्त होना

क्यों नहीं जारी होते एक बार में उम्मीदवारों की लिस्ट?

लोकसभा या विधानसभा चुनाव के समय, सभी राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग लिस्ट के माध्यम से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करती हैं। लेकिन इसके पीछे कोई नियम नहीं होता है। राजनीति में हमेशा उलट पलट देखने को मिलती रहती है। इसलिए पार्टियां सबसे पहले वे उम्मीदवारों का नाम घोषित करती हैं, जिनके बारे में पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त रहती है। उसके बाद पार्टी बाकी उम्मीदवारों की घोषणा करती है। हालांकि, यदि एक विपक्षी पार्टी किसी विशेष सीट पर अपने विशेष उम्मीदवार को उतारती है, तो दूसरी पार्टियां पार्टी के स्तर पर गतिरोध कर सकती हैं और अपने योग्य उम्मीदवार का नाम बदल सकती हैं। व्यक्तिगत स्तर पर अगर पार्टी नेताओं के बीच विवाद होता है, तो पार्टी उम्मीदवारों के नाम को बदलने की संभावना होती है। इनके बाद, अगली सूची में उस उम्मीदवार के नाम की घोषणा की जाती है। यह सभी चीजें राजनीतिक दांवपेच और रणनीति की एक प्रतिक्रिया है।

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किन दस्तावेज़ों की होती है ज़रूरत

जब कोई उम्मीदवार किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ता है, तो उसे भारतीय संविधान के तहत बने नियमों का पालन करना चाहिए। इसलिए, उसे चुनाव आयोग की तय प्रक्रिया के अनुसार अनेक तरह के फॉर्म भरने होते हैं। इन फॉर्म में उम्मीदवार को अपने संपत्ति, एजुकेशन, पता, कोर्ट में चल रहे मामलों के बारे में जानकारी देनी होती है। इसके अलावा उम्मीदवार को दो गवाहों के साथ एक शपथ पत्र भी जमा करना होता है, जिसमें अपने बारे में और संपत्ति की जानकारी देनी होती है।

ज़मानत ज़ब्त होना

लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को 25,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी पड़ती है। यह राशि उम्मीदवार को विधानसभा के कुल डाले गए मतों के छठे हिस्से का वोट न मिलने पर जमा हो जाती है। इसे राजनीतिक मामलों में “जमानत जब्त” कहा जाता है।

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